प्रदेश सरकार के वचन पत्र को पूरा करने के लिए नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव 6 महीने टालने की तैयारी 

भोपाल 
अगले साल की शुरूआत में अपना कार्यकाल पूरा कर रही नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव 6 महीने आगे बढ़ सकते हैं। सिटी सरकारों के चुनाव करीब 6 महीने टालने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। चुनाव को आगे बढ़ाने की स्थिति में नगर पालिकाओं में प्रशासन को पदस्थ किया जाएगा, जबकि नगर निगमों में संभागायुक्तों का हस्तक्षेप होगा। 

दरअसल प्रदेश सरकार को अब तक अपने वचन पत्र को पूरा करने के लिए ज्यादा समय नहीं मिला है। सरकार का दावा है कि उसे काम करने के लिए अब तक सिर्फ 75 दिन ही मिल सके, इस दौरान उसने 83 वादे पूरे कर दिए थे, लेकिन ये सब वादे पूरी तरह से जमीन पर नहीं उतर सके थे, इसके चलते ही कांग्रेस को किसान कर्ज माफी का फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिल सका। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस अब ऐसी गलती नहीं करेगी। वह अधिकांश वादे पूरी तरह से जमीन पर उतारने के बाद ही नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव में उतरेगी। इसके चलते नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव 6 महीने आगे बढ़ाए जा सकते हैं। 

ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, भोपाल और इंदौर नगर निगम का कार्यकाल फरवरी 2020 में पूरा हो रहा है। ग्वालियर, सतना, रीवा, सिंगरौली, कटनी, देवास, खंडवा, बुरहानपुर नगर निगम का कार्यकाल जनवरी 2020 में पूरा हो रहा है। जबकि सागर नगर निगम का कार्यकाल इस वर्ष के दिसम्बर में ही पूरा हो रहा है। मुरैना और उज्जैन नगर निगम का कार्यकाल सितम्बर 2020 में पूरा होगा। 

भोपाल और इंदौर में अब वार्ड नहीं बढ़ेंगे। नियमानुसार किसी भी नगर निगम में 85 से ज्यादा वार्ड नहीं हो सकते है। भोपाल और इंदौर में 85-85 वार्ड हो चुके हैं। हालांकि इन वार्डो का परिसीमन किया जा सकता है।  

महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव सीधे निवार्चन से हो या पार्षदों द्वारा किया जाए यह व्यवस्था अभी शासन के पाले में है। यदि सरकार को लगा कि सीधे चुनाव की जगह पर पार्षदों के जरिए महापौर और अध्यक्ष का निर्वाचन करवाना है तो प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाएगा। कैबिनेट में प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद इसे विधानसभा में रखा जाएगा। यहां से पारित होने के बाद ही यह व्यवस्था प्रदेश में बदल सकती है। 

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