मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना की राशि से खरीदी का हिसाब कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी से मांगा

भोपाल
मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना की करोड़ों रुपये की राशि का दुरुपयोग होने का मामला एकबार फिर उखड़ा है। महालेखाकार की फटकार के बार श्रम विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत से खरीदी का हिसाब मांगा है।

दरअसल, पिछले साल संबल योजना की राशि से प्रदेश के सभी 313जनपद पंचायतों में कम्प्यूटर,स्केनर और प्रिंटर की खरीदी हुई थी। इन तीनों उपकरणों के लिये 75 हजार रुपये और स्टेशनरी के नाम पर 25 हजार रुपये प्रति जनपद उपलब्ध कराये गये थे। संबल योजना से ही कम्पयूटर आॅपरेटर के लिये दस हजार रुपये प्रतिमाह के मान से भेजे गये थे। जानकारी के अनुसार करीब साढ़े तीन करोड़ खर्च की गई इस राशि का कलेक्टर और सीईओ जिला पंचायत हिसाब नहीं दे रहे हैं। महालेखाकार ने अपने जांच प्रतिवेदन में यहां तक कहा है कि  अगर राशि दी गई है तो व्यय भी होगा। ऐसा हुआ है तो जिलों से उपयोगिता प्रमाण पत्र क्यों नहीं भेजे गये? महालेखाकार ने श्रम विभाग को पत्र लिखते हुये हिसाब मांगा था लेकिन पिछले एकसाल से टाला जा रहा है।

श्रम विभाग ने एकबार फिर सभी जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखते हुये संबल योजना की व्यय राशि का हिसाब मांगा है। विभाग ने कहा है कि महालेखाकार ग्वालियर द्वारा निरीक्षण प्रतिवेदन में आपत्ति ली गई है, जिसका शीघ्र निराकरण किया जाना आवश्यक है। इसलिये कलेक्टर और सीईओ हिसाब भेजें तथा गुणवत्ता प्रमाण पत्र उपलब्ध करायें।

उधर, श्रम मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने संबल योजना की राशि दुरुपयोग होने का आरोप लगाते हुये  मामला जांच के लिये एसटीएफ को देने कहा था। इस साल के जनवरी माह में की गई घोषणा के बाद भी जांच प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।

पिछली सरकार में श्रम विभाग की और से 27 करोड़ रुपये का बजट जन अभियान  परिषद को लैपटॉप वअन्य सामग्री खरीदने के लिये दिया गया था लेकिन  यह राशि आवंटन के छह दिन मेें ही बांटनाऔर लैपटॉप देना बताया गया। इसकी फाइल जब मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने देखी तो वे हैरान रह गये। मंत्री ने पाया कि संबल योजना के पैसे का दुरुपयोग किया गया। पिछली सरकार ने 27 में से 20 करोड़ 6 दिन में ही खर्च कर दियेजबकि इसकी न तो कोई  रसीद ालीऔर ना ही किसी प्रकार का सत्यापन हुआ।

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