प्रदेश के महाधिवक्ता ने राज्य सरकार को चिट्ठी लिख जताई नाराजगी, हो सकता है सरकार को नुकसान
भोपाल
प्रदेश के महाधिवक्ता शशांक शेखर ने राज्य सरकार से इस बात पर नाराजगी जताई है कि विभिन्न विभागों के कोर्ट में जाने वाले केस महाधिवक्ता कार्यालय की जानकारी में नहीं लाए जाते और सरकार द्वारा नियुक्त प्रभारी अधिकारी सीधे लॉ आफिसर के संपर्क में चले जाते हैं। महाधिवक्ता ने अफसरों की इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने और एडवोकेट जनरल के दफ्तर की टीप लगने के बाद ही केस की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए कहा है।
महाधिवक्ता कार्यालय ने यह चिट्ठी विधि विभाग को लिखी है जिसके बाद विधि विभाग ने इसके लिए सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को इस पर अमल के लिए कहा है। बताया जाता है कि प्रभारी एडवोकेट जनरल की ओर से नाराजगी जताते हुए कहा गया कि न्यायालयीन प्रकरणों में नियुक्त प्रभारी अधिकारी एडवोकेट जनरल और इंदौर व ग्वालियर में काम कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता के सक्षम अधिकारियों से संपर्क नहीं करते।
प्रभारी अधिकारियों द्वारा विभिन्न मामलों की फाइल इनसे मार्क कराए बिना ही सीधे लॉ आफिसर के माध्यम से जवाब तैयार करने के लिए आगे बढ़ाई जा रही है। महाधिवक्ता के मुताबिक अधिकृत विधि अधिकारी से प्रकरण की फाइल मार्क न कराए जाने से महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय प्रकरण की मूल स्थिति से वाकिफ नहीं हो पाता। इतना ही नहीं एक्सपर्टाईजेशन के हिसाब से लॉ आफिसर को केस आवंटित नहीं हो पाते।
विभागीय सूत्रों के अनुसार इस मामले में महाधिवक्ता कार्यालय ने कहा है कि अफसरों की इस अनदेखी के कारण गंभीर आर्थिक और प्रशासनिक प्रकरणों में सरकार को नुकसान होगा और इसका असर सरकारी मशीनरी पर पड़ेगा। इसकी जवाबदेही भी इस कारण तय नहीं हो सकेगी। महाधिवक्ता कार्यालय के पत्र के बाद सभी विभागों को तभी लॉ आफिसर के पास जाने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं जब वे एडवोकेट जनरल और अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय में केस की फाइल मार्क करा लें।
प्रदेश के महाधिवक्ता अफसरों की कार्यशैली पर पहले भी आपत्ति जता चुके हैं। एक साल पहले भाजपा सरकार में तत्कालीन एडवोकेट जनरल की ओर से विभागों में नियम विरुद्ध नियुक्ति के संबंध में चल रहे केस के मामले में भी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए गए थे और नाराजगी जताई गई थी।