प्रदेश का पहला 8 लेन ग्रीन एक्सप्रेस-वे कारीडोर दो साल में बनकर तैयार

भोपाल
 दिल्ली-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे का मप्र का हिस्सा दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा।यह मध्य प्रदेश का पहला 8 लेन ग्रीन एक्सप्रेस-वे कारीडोर होगा। यह एक्सप्रेस-वे राजस्थान के कोटा जिले से मप्र के मंदसौर जिले के मानपुरा तहसील से होते हुए झाबुआ जिले के मेघनगर ब्लाक से गुजरात के गोधरा से वड़ोदरा पहुंचेगा। मप्र में इस एक्सप्रेस-वे की लम्बाई 245 किलोमीटर के करीब होगी।

इसमें वन विभाग की करीब 148 हेक्टेयर जमीन फंस रही थी, इसके चलते यह प्रोजेक्ट करीब एक साल से अटका हुआ था, लेकिन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को अब मंजूरी दे दी है। इसके चलते अब इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। दिल्ली-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, गुजरात, मुम्बई, राजस्थान, गुडग़ांव को जोड़ेगा।

दिल्ली-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे के प्रत्येक एक किमी के दायरे में एक या उससे अधिक अंडर और ओवर पास बनाए जाएंगे। इस एक्सप्रेस-वे को अगर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क भी अगर क्रास करती है तो उसमें भी ब्रिज अथवा अंडर पास बनाने का प्रावधान किया जाएगा। इस एक्सप्रेस वे की जद में मध्यप्रदेश के करीब दो सौ गांव आ रहे हैं, इसमें से कुछ गांवों को विस्थापित भी करने का काम किया जा रहा है। इस एक्सप्रेस-वे का सबसे ज्यादा लाभ मालवा क्षेत्र के लोगों को मिलेगा। क्योंकि ये मालवा के तीन जिलों से गुजर रहा है और इस एक्सप्रेस-वे से स्टेट हाइवे, मेजर डिस्टिक रोड के जरिए वहां के सभी जिलों को जोड़ा जाएगा।

दोनों तरफ से होगी 6-6 फिट ऊंची दीवार
एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ 6-6 फिट की ऊंची दीवार होगी। इक्जिट प्वाइंट के अलावा चालक इस रोड में कहीं से भी वाहन प्रवेश नहीं कर पाएंगे। प्रदेश में 5 इक्जिट प्वाइंट बनाए जाएंगे, जिसमें मंदसौर में 3, रतलाम में 3 और झाबुआ जिले में एक होगा। इन प्वांटों पर के लिए ब्रिज बनाया जाएगा।

प्रवेश द्वार पर लगेंगे कैमरे
प्रवेश द्वार पर कैमरे लगाए जाएंगे। एक्सप्रेस-वे में प्रवेश करने वाले वाहन कैमरे की नजरों से होकर गुजरेंगे। वाहनों के निकलते ही वह वाहनों का नम्बर अपने आप रीड कर कम्प्यूटर में इंट्री करेगा। इंट्री प्वाइंट में कम्प्यूटर में यह रिपोर्ट तैयार की जाएगी कि कौन से नम्बर का वाहन किस समय पर और किस तारीख को एक्सप्रेस-वे में प्रवेश किया है।

आखिरी में होगी टोल वसूली
वाहन चालकों से टोल वसूली प्रवेश के दौरान नहीं की जाएगी, जब वे वाहन जब एक्सप्रेस-वे से वाहर लेकर निकलेंगे तब उनसे टोल वसूली की जाएगी। इन वाहनों में अगर फास्टैग है तो उन्हें एक्सपे्रस वे के बाहर निकलते समय उन्हें रुकने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर वाहन में फास्टैग नहीं है तो उसे टोल पर कुछ समय के लिए रूककर हिसाब-किताब कराना पड़ेगा, क्योंकि टोल वसूली किलोमीटर के हिसाब से की जाएगी।

120 किमी प्रति घंटा की रफ्तर की डिजाइन
एक्सप्रेस-वे की डिजाइन 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से वाहन दौड़ाने के लिए डिजाइन तैयार की गई है। इससे कम रफ्तार वाहनों की नहीं होगी। एक्सप्रेस वे में क्रासिंग अथवा स्पीड ब्रेकर भी नहीं बनाया जाएगा। जिससे वाहन चालक कम समय में ज्यादा से ज्यादा दूरी तय कर सकें।

सीधे जुड़ेंगे इंदौर और उज्जैन
दिल्ली-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे से इंदौर और उज्जैन जिले को सीधे जोड़ा जाएगा। इसके लिए एक अलग से इंदौर-उज्जैन हाइवे बनाया जाएगा, जो गरोठ में एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जाएगा। ये हाइवे फोर लेन का होगा। इसमे दोनों तरफ से अंडर और ओवर पास भी बनाए जाएंगे, जिससे कही भी ट्राफिक बाधित न हो। इसके साथ ही इंदौर के बाईपास से इसे जोड़ा जाएगा।

भोपाल-देवास हाइवे भी जुड़ेगा
इस एक्सप्रेस-वे से भोपाल और देवास एक्सप्रेस जोडऩे का भी प्रयास होगा। इसके लिए उज्जैन से एक अलग एप्रोच रोड़ बनाकर इस हाइवे से जोडऩे का प्रयास किया जाएगा। जिससे मप्र इस एक्सप्रेस-वे को पूरी तरह से इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के रूप में इस सड़क का उपयोग कर सकें।

इन जिलों में होगी एक्सप्रेस-वे की लंबाई

मंदसौर — –102 किमी
रतलाम ——91 किमी

झाबुआ —–52 किमी

एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण का काम पूरा कर लिया गया है। पर्यावरण की अनुमति के बाद अब इसके निर्माण का काम शुरू किया जाएगा। इसके निर्माण के लिए ठेकेदार को दो साल का समय दिया गया है।
कृष्णपाल सिंह चौहान, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, दिल्ली बड़ोदरा एक्सप्रेस-वे मप्र

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