प्रदेशावासियों को एक और सौगात देने की तैयारी में कमलनाथ सरकार

भोपाल
 मध्यप्रदेश में दिनों दिन जल संकट गहराता जा रहा है। जिससे कई जिलों में सूखे के हालात बन गए हैं|  आधी आबादी तक भीषण गर्मी के कारण पानी नहीं पहुंच पा रहा है। जलसंकट से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रदेश की कमलनाथ सरकार नए फॉर्मूला पर काम कर रही है। अब सरकार  जनता को 'राइट टू वाटर' का अधिकार देने जा रही है।  पानी के अधिकार कानून प्रदेश हित में लागू किया जायेगा। इसके लिए सरकार जल संसद भी बुलाने जा रही है। सोमवार को मिंटो हाल में पर्यावरणविद, जलमेंन राजेन्द्र सिंह और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृव्य में पानी बचाने पर मंथन होगा। वही तालाबों को बचाने की मुहिम के इस कानून को भी इसमें शामिल किया जायेगा।

इस बात की जानकारी आज पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने प्रेसवार्ता आयोजित कर दी । मंत्री पांसे ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस की केंद्र की सरकार ने देशवासियो को बहुत से अधिकार दिए। बारिश की एक एक बूंद का संरक्षण किया जाएगा।  मध्यप्रदेश पहला राज्य होगा जो पानी का अधिकार देने जा रही है। बरसात के पानी का ज्यादा से ज्यादा संरक्षण करना प्राथमिकता है। पुराने तालाब व नए तालाब भी इस कानून के दायरे में आएंगे । सभी विभाग को निर्देशित किया जायेगा कि पानी की समस्या पर ध्यान दे। प्रदेश में पानी का उपयोग ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा है। सभी विभागों की पहली प्राथमिकता पानी होगा। मुख्यमंत्री की मंशा अनुसार सभी विभागों को पानी बचाने के लिए निर्देशित किया जाएगा। 24 तारीख को मिंटों हाल में इस कानून को लेकर चर्चा होगी, जिसमें देश से विभिन्न जल विशेषज्ञ आएंगें।

मंत्री ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को पानी देने की योजना पर जल्द ही अमल होगा। दिल्ली में हुई पीएचई की बैठक में केंद्रीय मंत्री से भी इस विषय मे चर्चा हुई थी। जल संसद कार्यक्रम के माध्यम से आम जनता से उनकी राय जानेंगे। इस दौरान पीएचई मंत्री सुखदेव पांसे ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार बजट देने में आनाकानी कर रही है। जीएसटी के बाद सारा टैक्स केंद्र को जाता है। पानी के ऊपर कभी राजनीति नही होनी चाहिए। केंद्र सभी राज्यों को ईमानदारी से पानी के लिये बजट दे।

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