प्रचार की व्यस्तताओं के कारण खुद लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे अखिलेश और मायावती
लखनऊ
2019 के लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद से ही यूपी में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एक ओर जहां बीजेपी की ओर से प्रदेश की 80 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए लगातार मीटिंग्स की जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के दल एसपी और बीएसपी भी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में अपनी रणनीति को और मजबूत करने में जुटे हुए हैं। खास बात यह कि चुनाव और रैलियों में पूरी सक्रियता रखने के लिए दोनों ही पार्टियों के सुप्रीम नेताओं ने खुद चुनाव ना लड़ने की बात कही है।
पूर्व में तमाम सियासी हलचलों को नकारते हुए समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस बार फिर कन्नौज की सीट से अपनी पत्नी को चुनावी उम्मीदवार बना दिया है। पूर्व में नवभारत टाइम्स ऑनलाइन को दिए एक खास इंटरव्यू में अखिलेश ने यह कहा था कि वह 2019 में कन्नौज की सीट से लोकसभा के चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बाद में राजनीतिक परीस्थितियों को देखते हुए अखिलेश ने दोबारा डिंपल को ही इस सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया। इसके बाद यह चर्चा भी शुरू हुई कि अखिलेश मुलायम सिंह यादव की सीट आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव में दावेदारी कर सकते हैं, लेकिन एसपी के एक शीर्ष नेता ने इस संभावना को नकारते हुए कहा कि इस बार अखिलेश चुनावी अभियान पर फोकस करेंगे और लोकसभा के चुनाव नहीं लड़ेंगे।
वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती के राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद से ही लोकसभा चुनाव में यूपी की किसी सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं। बीएसपी काडर के तमाम नेताओं ने भी यह संभावना जताई थी कि मायावती पश्चिम यूपी की नगीना या पूर्वी यूपी की आंबेडकरनगर सीट से चुनाव लड़ सकती हैं।
अखिलेश की कोर टीम के सदस्य और समाजवादी पार्टी के एक सीनियर लीडर ने बातचीत के दौरान बताया कि महागठबंधन के दोनों नेता यूपी की अलग-अलग सीटों पर संयुक्त रैलियां करेंगे। इसके अलावा अखिलेश यादव और मायावती अलग-अलग सीटों पर अपने प्रत्याशियों के लिए भी जनसभा करेंगे, जिसके कारण उनके खुद के चुनाव लड़ने की स्थिति में अपनी सीट पर फोकस करना कठिन होगा। इस स्थिति को देखते हुए दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने खुद लोकसभा का चुनाव ना लड़ने का फैसला किया है।
बीएसपी के सूत्रों के अनुसार, मायावती 11 संयुक्त रैलियों के साथ देश भर में कुल 30 रैलियों को संबोधित करेंगी। शुरुआती कार्यक्रम के अनुसार, बीएसपी सुप्रीमो 3-4 अप्रैल को दक्षिण भारत के दौरे पर जाएंगी। आंध्र प्रदेश में अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण की पार्टी जनसेना के साथ बीएसपी की संयुक्त रैलियों का आयोजन किया जाएगा। इसके बाद मायावती 5 अप्रैल को नागपुर के प्रवास पर रहेंगी। वहीं 10 और 11 अप्रैल को मायावती कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगी।
14 अप्रैल को मायावती भीमराव आंबेडकर की जयंती के दिन छत्तीसगढ़ के जांजगीर का दौरा करेंगी। जांजगीर का इलाका बीएसपी के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है और खुद पार्टी के संस्थापक कांशीराम इस सीट से अपना पहला चुनाव लड़ चुके हैं, ऐसे में मायावती भी इस सीट से एमपी और छत्तीसगढ़ के इलाकों में सियासी लाभ लेने की कोशिश करेंगी। पार्टी नेताओं के अनुसार, मायावती ने बंगाल, पंजाब, ओडिशा, हरियाणा और उत्तराखंड में भी चुनावी रैलियों को संबोधित करने की योजना बनाई है और इन्हीं कार्यक्रमों की व्यस्तता के कारण उनका खुद एक सीट से चुनाव लड़ना कठिन माना जा रहा है।