प्याज और लहसुन के फायदे

हम अक्सर अपने खाने को मीठा, तीखा, चटपटा यानी कि स्वाद के आधार पर पसंद करते हैं।आयुर्वेद में भी खाने को इसी आधार पर मतलब 6 अलग स्वाद के आधार पर बांटा गया है। इसे मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा और कसैला स्वाद के आधार पर बांटा जाता है। हालांकि, अगर प्राचीन चिकित्सीय थ्योरी पर ध्यान दिया जाए तो प्याज और लहसुन को तामसिक और राजसिक प्रवृति का माना गया है। इन दोनों ही तरह के खाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है। जबकि प्याज और लहसुन दोनों का ही इस्तेमाल सिर्फ भारतीय खाने में ही नहीं, बल्कि अलग-अलग देशों के कई तरह के खानों में इनका इस्तेमाल होता है।

क्या आपके मन में भी यह सवाल आया है कि इन दोनों को तामस और राजस गुण में क्यों रखा गया है? इस पोस्ट में जानें कि स्वस्थ जीवन के लिए इन दोनों से दूर रहने को क्यों कहा जाता है?क्या आपके मन में भी यह सवाल आया है कि इन दोनों को तामस और राजस गुण में क्यों रखा गया है? इस पोस्ट में जानें कि स्वस्थ जीवन के लिए इन दोनों से दूर रहने को क्यों कहा जाता है?

आयुर्वेद के अनुसार, खाने के स्वाद और क्वालिटी के आधार पर इन्हें सात्विक, राजसिक और तामसिक प्रवृति के आधार पर बांटा जाता है। यूं तो आयुर्वेद के अनुसार, प्याज और लहसुन एक ही फैमिली से हैं, लेकिन इनके गुण में अंतर है। प्याज को तामसिक और लहसुन को राजसिक में उनके स्ट्रांग फ्लेवर और स्वाद के आधार पर बांटा गया है। इससे शरीर में ताप बढ़ता है। यह भी माना जाता है कि ये खाद्य पदार्थ शरीर में शामक प्रभाव को उत्तेजित कर सकते हैं।

प्याज और लहसुन दोनों ही जड़ों से संबंधित सब्जियां हैं। इनमे मौजूद तत्व भी लगभग एक समान हैं। । इन दोनों में ही एलियम नाम का तत्व मौजूद होता है। इन दोनों में ही चिकित्सीय तत्व भी मौजूद हैं। लेकिन फिर भी इन्हें डार्क फूड यानी कि तामसिक खाने की श्रेणी में रखा जाता है। तामसिक खाना शरीर में यौन उत्तेजना को बढ़ाता है। इसके अलावा, कुछ आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, प्याज को इसलिए नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, लहसुन के अर्क को कई दवाइयों में इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसके गुणों के आधार पर इसे राजसिक की श्रेणी में रखा गया है।

प्याज और लहसुन के कई फायदे हैं। इन्हें रोजाना खाने से इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है और यह आपको कई बीमारियों से बचाता है। आयुर्वेद के अनुसार, तामसिक और राजसिक की श्रेणी में आने के बावजूद इनके अर्क का इस्तेमाल कई दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। इनमें मौजूद चिकित्सीय गुणों जैसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल के चलते यह शरीर में ब्लड-शुगर स्तर को कंट्रोल करते हैं। यह दिल की सेहत का भी ख्याल रखते हैं। मौसम के साथ होने वाले वायरल या फ्लू से बचाने में भी यह बहुत काम आते हैं।

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