पुजारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी, मंदिर खोलने के लिए पुजारियों की गुहार 

 
जयपुर 

 
राजस्थान में अनलॉक वन में सब कुछ खुल गया मगर मंदिर अब तक नहीं खुले हैं. राजस्थान के पुजारियों ने धमकी दी है कि सरकार अगर मंदिर नहीं खोलती है, तो वे सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे. पुजारियों ने आरोप लगाया कि मंदिर में चढ़ावा नहीं आने की वजह से उनको खाने के लाले पड़ गए हैं. सरकार का कहना है कि मंदिर संक्रमण का जरिया हो सकते हैं, इसलिए सरकार इसे खोलने पर विचार करने के लिए कमेटी बना रखी है और कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही खोलने पर फैसला लिया जाएगा.
 

जयपुर के मालवीय नगर के जलेश्वर महादेव मंदिर में पिछले 100 दिनों से ताला लगा हुआ है. भक्त तो बाहर से मत्था टेक लेते हैं मगर अंदर भगवान का भोग लगाने वाले पुजारी के परिवार का भोग नहीं लग पा रहा है. राजस्थान ब्राह्मण महासभा के बैनर तले जयपुर के पुजारियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखी है कि लॉकडाउन के दौरान उनके परिवार खाने के लिए तरस रहे हैं. जो मंदिर में चढ़ावा आता था उन्हीं से उनका परिवार चलता था. ऐसे में मंदिर बंद होने की वजह से उनके लिए संकट खड़ा हो गया है. पुजारियों कहना है कि अमावस के दिन कुछ आटा, दाल सीधा ही आ जाता था वह भी नहीं आ रहा है.

राजस्थान में 40,000 से ज्यादा मंदिर

राजस्थान में छोटे और मझोले स्तर के 40,000 से ज्यादा मंदिर है, जहां पर काम करने वाले हजारों पुजारियों के परिवारों पर मंदिर बंद होने से संकट खड़ा हो गया है. इनका कहना है कि अगर सरकार मॉल, होटल, रेस्टोरेंट्स और शराब की दुकान के लिए नियम बना सकती है, तो नियम बनाकर मंदिर क्यों नहीं खोल सकती है. जहां पर ज्यादा भीड़ होती है उन 5-10 मंदिरों को बंद कर बाकी मंदिरों को खोला जाए. पुजारियों ने एहतियातन मंदिर से चटाई और प्रसाद दान पुण्य के बॉक्स भी हटा लिए हैं.
 
राजस्थान सरकार का कहना है कि जहां पर मंदिर खुले हैं उन राज्यों में कोरोना के हालात खराब है. हम लोगों को खतरे में नहीं डाल सकते हैं, इसलिए हमने सभी जिलों के पुजारियों से फीडबैक लेने के बाद उन्हीं के कहने पर मंदिर बंद रखने का फैसला किया है. इसके अलावा हमने कमेटी बना दी है. उनकी रिपोर्ट के आधार पर ही जिला स्तर पर मंदिर खोलने के फैसले लिए जाएंगे.

पुजारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी
दरअसल, छोटे मंदिरों के साथ समस्या यह है कि इन्हीं मंदिरों में पुजारी परिवार के साथ रहता है और यहां चढ़ाए गए भोग से उसका परिवार चलता है. इसके अलावा आस-पास के लोग पंडित को घर में बुलाकर पूजा पाठ करवाते हैं, जिससे दान-दक्षिणा मिलती है. कोरोना की वजह से लोगों ने में घर में बुलाकर पंडितों से पूजा-पाठ करवाना भी बंद कर दिया है, इसलिए इनका कहना है कि इनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है और सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिली है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *