पीएससी चयनित प्रोफेसरों के कंगाली के हालात बनने पर मांग रहे इच्छामृत्यु 

भोपाल 
मप्र लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) से चयनित प्रोफेसरों की शासन नियुक्ति नहीं कर पा रहा है। प्रोफेसरों के हालात कंगाली पर आ चुके हैं। इससे उनके परिवार के साथ गुजर बसर करना दुभर हो रहा है। इसलिए चयनित उम्मीदवारों से राष्ट्रीय से इच्छामृत्यु की मांग की है। शासन को अल्टीमेटम देते हुए पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ ने नौ जून से आंदोलन करने की चेतावनी दी है। 

एमपीपीएससी ने साढ़े तीन हजार असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति करने के लिए गत वर्ष एग्जाम कराया था। इसमें से करीब ढाई हजार असिस्टेंट प्रोफेसरों का चयन हो गया है। यहां तक उनका सत्यापन तक हो चुका है,लेकिन शासन उनकी नियुक्ति नहीं कर सका है। इससे उनका के सब्र का बांध टूटने लगा है। इसकी एक वजह उनकी कंगाल हालात भी हैं। इसमें करीब 500 उम्मीदवार ऐसे हैं भी जिन्होंने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से रुपए उधार लेकर अपना नियुक्त होने का इंतजार कर रहे हैं। मंत्री जीतू पटवारी से उन्हें लगातार आश्वासन ही मिल रहा है, लेकिन छह माह में उन्हें नियुक्ति नहीं मिल सकती है। 

कैसे मिलेगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा 
संघ अध्यक्ष प्रकाश खातरकर ने कहाकि शासन उनकी खामोशी का फायदा उठा रही है। नियुक्ति नहंी मिलने से चयनित उम्मीदवारों का हौसला टूटने लगा है। वे शासन से बार-बार बात करने जाते हैं, लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता है। करीब एक साल होने को आया है, लेकिन शासन उनकी नियुक्तियों में लेटलतीफी कर रही है। जबकि शासन लगातार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का दावा कर रही है। बिना प्रोफेसरों के शासन विद्यार्थियों को कालेजों में कैसे गुणवत्ता युक्त शिक्षाप्रदान कर सकते हैं। आज प्रदेश के कालेजों में शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। शासन को ही विद्यार्थियों औरकालेजों की चिंता नहीं हैं। 

मांगी ईच्छामृत्यु 
संघ अध्यक्ष खातरकर के अलावा अन्य संघ के सदस्यों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से नियुक्ति नहीं मिलने पर ईच्छामृत्यु मांगी हैं। क्योंकि बिना नियुक्ति के उनका जीवनयापन करना दुर्भर हो गया है। उनके पास जीवन यापन का कोई संसाधन नहीं बचा है। वे अब सिर्फ नियुक्ति के सहारे ही बने हुए हैं। उम्मीदवारों का कहना है कि शासन उन्हें दस दिनों में नियुक्ति नहीं देती है,तो नौ जून से सड़क पर उतरकर शासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे। यहां तक भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे। इसमें किसी भी उम्मीदवार के साथ कोई घटना घटित हो जाती है, तो उसकी जिम्मेदारी शासन के ऊपर आएगी। 

शासन ने नहीं किया हमको सूचिता 
प्रेस कांफ्रेंस कर अध्यक्ष खातरकर ने बताया कि विकलांग कोटे के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसकी सूचना शासन ने किसी भी उम्मीदवार को नहीं दी। ये सूचना उन्हें खुद लेना पड़ी। शासन हाईकोर्ट में विकलांग कोटे को छोड़कर शेष पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति कर सकता है। 

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