पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले मेजर जनरल का निधन

नई दिल्ली
1971 की जंग में जब भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई उस वक्त एक अहम जंग ईस्ट पाकिस्तान (बांग्लादेश) से सैकड़ों किलोमीटर दूर जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भी लड़ी गई। यह ऐसी जंग थी जब भारत के करीब 150 जांबाज सैनिकों ने पाकिस्तान के 5000 से ज्यादा सैनिकों के हमले को नाकाम किया और बहादुरी से सामरिक रूप से अहम पुंछ की जंग जीती। इसकी अगुवाई उस वक्त लेफ्टिनेंट कर्नल रहे कश्मीरी लाल रतन कर रहे थे। जो बाद में सेना से मेजर जनरल के पद पर रिटायर हुए। मेजर जनरल रतन (रिटायर्ड) ने 16 मई को यूपी के नोएडा में आखिरी सांस ली। पुंछ की इस जंग के लिए उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था।

बटालियन को ‘बैटल ऑनर डिफेंस ऑफ पुंछ 1971’ से नवाजा गया
इस जंग में 6-सिख (छह सिख) बटालियन को अपनी बहादुरी के लिए एक महावीर चक्र के अलावा पांच वीर चक्र और साथ ही ‘बैटल ऑनर डिफेंस ऑफ पुंछ 1971’ से भी नवाजा गया। इस जंग में मेजर जनरल रतन (रिटायर्ड) की टीम में कर्नल पंजाब सिंह (रिटायर्ड) भी थे, जिन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। कर्नल पंजाब सिंह ने एनबीटी से बात करते हुए बताया कि जब पाकिस्तान ने हमला किया तो हमारी वहां पर दो कंपनी ही थी, जिसमें भी पूरी संख्या नहीं थी। हमारे पास करीब 150 सैनिक थे जबकि पाकिस्तान की एक पूरी बिग्रेड के अलावा उनके पास और भी सैनिक थे।

यानी हमारी करीब 150 सैनिकों ने उनके 5000 से ज्यादा सैनिकों के हमले को नाकाम किया। उन्होंने कहा कि यह मेजर जनरल रतन (रिटायर्ड) की बहादुरी, दूरदर्शिता और लीडरशिप की वजह से हो पाया। कर्नल पंजाब सिंह ने कहा कि ‘उस वक्त वहां न तो कम्युनिकेश के अच्छे साधन थे न ही आवाजाही के।

मेजर जनरल रतन 6-सिख बटालियन को लीड कर रहे थे और वह मोर्चे पर सबसे आगे डटे रहे। वह एक बंकर से दूसरे बंकर जाकर लगातार सभी जवानों को मोटिवेट भी कर रहे थे। उनकी वजह से ही हम यह जंग लड़ पाए। वह पहाड़ी इलाका था लेकिन उन्हें उसके हर एक इंच की जानकारी थी। वह लगातार बताते रहे कि कब कहां से कौन सा फायर करना है।

युद्ध का इतिहास जाने
दरअसल, जब 3 दिसंबर 1971 में भारत ईस्ट पाकिस्तान की मदद के लिए युद्ध में उतरा तो उस वक्त पाकिस्तान ने वेस्टर्न फ्रंट पर भी हमला बोल दिया। पुंछ की यह जंग 3 से 6 दिसंबर तक लड़ी गई। पाकिस्तान की ब्रिगेड को भारतीय सेना की दो पिकेट और पुंछ के हेलिपैड पर कब्जा करने का टास्क दिया गया था। यह हेलिपैड भारत की 6-सिख बटालियन के पास था। 6-सिख बटालियन ने पाकिस्तान के इस हमले को नाकाम किया। इस जंग में भारतीय सेना ने 8 बहादुर योद्धाओं को खोया और 33 घायल हुए।

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