पाकिस्तान के 87 फीसदी हिस्से पर इसरो सैटेलाइट्स की HD नजर

अंतरिक्ष में भारत का डंका बजाने वाला इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) देश के लिए सामरिक दृष्टि से भी बहुत अहम है। ISRO के सैटलाइट्स पाकिस्तान के 87 फीसदी हिस्से पर नजर रखते हैं और HD क्वॉलिटी की मैपिंग करते हैं, जो बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे ऑपरेशंस के लिए सस्त्रबलों के लिए महत्वपूर्ण इनपुट होते हैं। 

भारतीय सैटलाइट्स पाकिस्तान के कुल 8.8 लाख वर्ग किलोमीटर के भूभाग में से 7.7 लाख वर्ग किलोमीटर हिस्से पर नजर रखने में सक्षम हैं और भारतीय कमांडर्स को 0.65 मीटर तक की HD तस्वीरें दे रहे हैं। 

भारत की यह क्षमता दूसरे पड़ोसी देशों के लिए भी है। हमारे सैटलाइट्स 14 देशों के कुल 55 लाख वर्ग किलोमीटर हिस्से को मैप कर सकते हैं, लेकिन चीन को लेकर जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। एक सूत्र ने कहा, 'यह कवरेज कार्टोसैट सैटलाइट्स से है। इसरो सेवाएं उपलब्ध कराता है, लेकिन हम इस पर कॉमेंट नहीं कर सकते हैं।' 

17 जनवरी को अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा था कि भारत पाकिस्तानी घरों में झांक सकता है और यह कोई मजाक नहीं था। उन्होंने कहा था, 'भारत का इन्टग्रेटिड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम भारत को पाकिस्तान के घरों और बरामदों को देखने में सक्षम है।' 

भारतीय एयरफोर्स ISRO से बहुत खुश है। एक एयर मार्शल ने पिछले सप्ताह कहा था, 'क्या हमें अधिक सैटलाइट्स की जरूरत है? हां, लेकिन हमारी 70 फीसदी जरूरत पहले से पूरी हो रही है और हम ट्रैक पर हैं।' 

जिन बड़े सैटलाइट्स ने सुरक्षाबलों की सहायता की है उनमें, कार्टोसैट सीरीज के सैटलाइट्स, GSAT-7 और GSAT-7A, IRNSS, माइक्रोसैट, रिसैट और HysIS शामिल हैं। यदि इंडिविजुअल स्पेसक्राफ्ट को भी गिन लें तो 10 से अधिक ऑपरेशनल सैटलाइट्स सेना के इस्तेमाल में हैं। 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले भी बताया था कि कार्टोसैट का पहला बड़ा इस्तेमाल सितंबर 2016 में LoC पार सर्जिकल स्ट्राइक के लिए किया गया था। 

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