पाकिस्तान के फायदे के लिए इमरान कर रहे मोदी का समर्थन
नई दिल्ली
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान दिया था कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा जीतने से दोनों देशों के बीच बातचीत की बेहतर राह बनेगी। माना जा रहा है कि इमरान ने यह बयान पश्चिमी देशों और बड़ी शक्तियों के बीच अपनी छवि सुधारने की कोशिश के तहत दिया।
इमरान सरकार के सामने पाकिस्तान की इकॉनमी को पटरी पर लाने की एक बड़ी चुनौती है। पाकिस्तान को फाइनैंशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ओर से ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है। अमेरिकी सांसदों के विरोध के कारण पाकिस्तान को इंटरनैशनल मॉनेटरी फंड (IMF) से राहत पैकेज मिलना भी मुश्किल है।
पाकिस्तान अभी तक आर्थिक संकट का मुकाबला खाड़ी देशों से वित्तीय मदद के लिए करने की कोशिश करता रहा है, लेकिन यह मदद उसके लिए पर्याप्त नहीं है। पाकिस्तान की इकॉनमी में सुधार के लिए इमरान खान पश्चिमी देशों से मदद लेना चाहते हैं और इस वजह से वह अपनी साख मजबूत करने की कोशिशें कर रहे हैं। हालांकि, पाकिस्तान को अपने परंपरागत सहयोगी चीन से भी मदद मिल रही है लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान की इकॉनमी के लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही।
IMF ने 2018-19 के लिए पाकिस्तान की ग्रोथ का अनुमान घटाकर 2.8 पर्सेंट और 2019-20 के लिए 2.9 पर्सेंट किया है। पाकिस्तानी रुपये में कमजोरी आने के बाद पाकिस्तान का फ्यूल इम्पोर्ट बिल भी बढ़ रहा है। इसके अलावा रेटिंग एजेंसियों की ओर से सॉवरेन रेटिंग डाउनग्रेड करने से भी आर्थिक मुश्किलें बढ़ी हैं। FATF की ओर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने से नए विदेशी फंड के साथ ही इन्वेस्टमेंट पर भी रोक लगी है।
फरवरी में पाकिस्तान का फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 8 अरब डॉलर से कुछ अधिक था, जो लगभग दो महीने के इम्पोर्ट के लिए ही पर्याप्त है। एक वर्ष पहले पाकिस्तान का फॉरेन रिजर्व 12 अरब डॉलर का था। पिछले दो वर्षों में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया भी लगभग 40 पर्सेंट गिरा है। IMF का कहना है कि पाकिस्तान का अनुमानित बजट घाटा 7.2 पर्सेंट रह सकता है और अगले वर्ष इसमें और बढ़ोतरी होने की आशंका है। पाकिस्तान में महंगाई दर 7.6 पर्सेंट रहने का अनुमान दिया गया है।
पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक इमाद जफर ने हाल ही में एशिया टाइम्स में प्रकाशित एक आर्टिकल में कहा था, 'इमरान खान सरकार ने आठ महीने पहले सत्ता संभाली थी और इस अवधि में देश की इकॉनमी चरमरा गई है। महंगाई अब 9.41 पर्सेंट पर है और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया बहुत कमजोर हो गया है। पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स से लेकर फूड आइटम्स तक प्रत्येक चीज महंगी हो रही है। सरकार कोई विदेशी निवेश लाने में नाकाम रही है और वह देश में कारोबार के मौके बनाने में भी बुरी तरह असफल हुई है।'