पश्चिम बंगाल: सीपीएम ने सालों से बंद पड़े 150 कार्यालयों को दोबारा खोला

कोलकाता
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को करारा झटका झेलना पड़ा। चुनाव के बाद टीएमसी और बीजेपी के बीच सियासी जंग तेज होती नजर आ रही है। राज्य में ममता की खिसकती जमीन के बीच लेफ्ट के कैडर ऐक्टिव हो गए हैं। लगातार दो विधानसभा चुनाव में टीएमसी से मिली करारी हार के बाद हताश सीपीएम की अब कुछ उम्मीद बंधी है। पार्टी ने सालों से बंद पड़े अपने कार्यालय एक बार फिर खोले हैं।

2011 में टीएमसी पर कब्जे का आरोप
लेफ्ट फ्रंट के सबसे बड़े घटक दल सीपीएम ने पिछले चार दिनों में पश्चिम बंगाल में 150 से ज्यादा अपने कार्यालयों को फिर से खोल लिया है। पार्टी का दावा है कि राज्य में 2011 में सत्ता से उसके बेदखल होने के बाद टीएमसी ने इन कार्यालयों पर कब्जा जमा लिया था। सीपीएम नेताओं ने दावा किया कि बांकुरा, पुरुलिया, कूचबिहार, बर्द्धमान, हुगली, उत्तरी 24 परगना और हावड़ा समेत अनेक जगहों पर सीपीएम के कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय पर फिर से कब्जा जमा लिया है। दीवारों पर पार्टी के चुनाव चिह्न भी पेंट किए जा रहे हैं और इमारत के ऊपर झंडे भी लगाए गए हैं।

'हमने कार्यालयों पर फिर कब्जा किया'
सीपीएम पोलित ब्यूरो के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि पार्टी अपने कार्यालयों को फिर से कब्जे में ले रही है क्योंकि 2011 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी कमजोर हो गई है । हालांकि, टीएमसी ने आरोप लगाया कि बीजेपी वामपंथियों की मदद कर रही है। दूसरी ओर सीपीएम नेताओं ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।

सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य नीलोत्पल बसु का कहना है, 'हमने अपने कार्यालयों पर फिर कब्जा किया है जिसे तृणमूल कांग्रेस ने हमसे छीन लिया था। हम ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि टीएमसी कमजोर हुई है, उसका घटता जनाधार स्पष्ट है। हमारे लोग कार्यालयों पर कब्जा पाने की कोशिश कर रहे थे।'

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