पर्यावरण बचाने जजों का अनूठा फैसला, बैठकों में नहीं होगा पानी की बोतल का इस्तेमाल

ग्वालियर
बिगड़ते पर्यावरण की चिंता करते हुए पिछले दिनों मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने जमानत देते समय 100 पौधे लगाने की शर्त की अनूठी पहल शुरू की । उसके बाद जिला न्यायालय ने भी अब एक पहल की है। जिला न्यायालयों के जजों ने बैठकों में प्लास्टिक को बोतल वाले पानी के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया है।

पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले तत्वों में प्लास्टिक को सबसे ऊपर माना जाता है लेकिन फिर भी पिछले कुछ वर्षो में प्लास्टिक का चलन बढ़ा है। सामाजिक जीवन में भी प्लास्टिक का उपयोग दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। किसी भी तरह की बैठकों या कार्यक्रमों में प्लास्टिक की बोतल के पानी का इस्तेमाल एक फैशन सा हो गया है। टेबल पर अतिथि के आमने बोतल सजा दी जाती है।

लेकिन ग्वालियर के जजों ने अब इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। दरअसल जिला न्यायालय में विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव शिवकांत गोयल और उनके साथियों ने इस बात को नोटिस किया कि वहां होने वाली बैठकों में प्लास्टिक की बोतल के पानी का इस्तेमाल होता है । चूँकि प्लास्टिक पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन होता है इसलिए उन्होंने इस पर रोक लगाने के लिए जिला न्यायाधीश दीपक कुमार अग्रवाल से चर्चा की और अपनी इच्छा जताई जिसके बाद श्री अग्रवाल ने बैठकों में प्लास्टिक की पानी की  बोतल को बाहर करने के संकल्प को सहमति दे दी।

अब आगे से जिला न्यायालयों में होने वाली बैठकों में जज कोर्ट में मौजूद या घर से लाये पानी का इस्तेमाल करेंगे। जजों का मानना है कि इस संकल्प से लोगों को प्रेरणा दी सकती है। जिससे लोग पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने से बचें और दूसरों को भी जागरूक करें। हाईकोर्ट के जमानत के बदले पौधे लगाने की पहल के बाद जिला न्यायालय के जजों द्वारा बैठकों में प्लास्टिक की बोतल के पानी के इस्तेमाल पर रोक ये बताती है कि बिगड़ते पर्यावरण को लेकर न्यायालय की  चिंता बढ़ रही है । अब जरुरत इस बात की है कि पर्यावरण बचाने की मुहिम में सामूहिक रूप से हाथ बटाय़ा जाय।

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