आयुध फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारी जा सकतें हैं हड़ताल पर!

जबलपुर
एक तरफ भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलगता जा रहा है, वहीं अब एक और बड़ा संकट देश में खड़ा हो गया है. आयुध फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं. बताया जा रहा है कि केंद्र की ओर से 41 आयुध निर्माणियों को निगमीकरण के दायरे में लाने का प्रस्ताव पास किया गया है, जिसको लेकर कर्मचारी नाराज हैं और लगातार आंदोलन कर रहे हैं. अब जब सरकार कर्मचारियों की मांगें नहीं मान रही है तो उन्होंने देशव्यापाा हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है. गौरतलब है कि कर्मचारी संगठनों द्वारा हड़ताल को लेकर की गई गेट मीटिंग और मतदान मे 98 प्रतिशत कर्मचारियों ने हड़ताल का रास्ता अख्तियार करने पर सहमति जताई है. जुलाई के दूसरे सप्ताह से प्रस्तावित इस हड़ताल के दौरान कर्मचारी काम नहीं करेंगे और सरकार के फैसले की खिलाफत करते रहेंगे.

इसके पूर्व भी कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल कर चुके हैं, लेकिन उस वक्त सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान देते हुए विचार करने का आश्वासान दिया था. आयुध निर्माणियों के कर्मचारी इस बात से हैरान हैं कि एक तरफ सेना को मजबूत करने के दावे सरकार कर रही है और दूसरी तरफ पिछले दरवाजे से सुरक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की साजिश रची जा रही है. गुस्साए कर्मचारियों ने सरकार के इस फैसले को देश की सुरक्षा के लिए घातक तो बताया ही साथ ही जबलपुर की अस्मिता से भी खिलवाड़ करार दिया. इसके पीछे दलील दी गई है कि जबलपुर में चल रहे करीब आधा दर्जन सुरक्षा संस्थानों में लाखों कर्मचारी काम करते हैं और उनके जरिए ही जबलपुर के बाजार में सालाना हजारों करोड़ का कारोबार होता है. कर्मचारियों का मानना है कि अगर सुरक्षा संस्थानों के निगमीकरण के फैसले पर अमल किया गया तो कर्मचारियों के सामने न केवल रोजी-रोटी का संकट पैदा हो जाएगा बल्कि जबलपुर के विकास की रफ्तार भी थम जाएगी.

आयुध कर्मियो की हड़ताल से सेना को सप्लाई होने वाले इन हथियारों के उत्पादन असर पर पड़ेगा, जिसमें 105 एमएम लाईट फील्डगन, 55 एमएम मोर्टार, 27 एमएम प्रहरी गन, एल 17 एयरक्राफ्ट गन और एल 17 एंटी एयरक्राफ्ट गन, देश की सबसे ताकतवर धनुष तोप, सेना को सप्लाई किए जाने वाले वाहन जिसमें स्टालियन, एंटी लैंड माइन व्हीकल और सेफ्टी टेंक भी शामिल रहे हैं.

बहरहाल, केंद्र सरकार द्वारा आयुध निर्माण के निगमीकरण के फैसले का तीनों फेडरेशन के लोगों ने अपना विरोध दर्ज कराया है. यही नहीं,  तीनों फेडरेशन ने रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर फैसले को वापस लेने की मांग की है. फेडरेशनों की मांग है कि अगर सरकार ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो 82 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को मजबूर हो जाएंगे.

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