परिवहन सेवाओं के स्वरूप में बड़े बदलाव की तैयारी 

 नई दिल्ली 
कोरोना काल में शहरी परिवहन सेवाओं के स्वरूप में परिवर्तन और नए विकल्पों के लिए केंद्र ने राज्यों, शहरों और मेट्रो कंपनियों के लिए परामर्श जारी किया है। इसमें पेट्रोल-डीजल के वाहनों की जगह गैर मोटरकृत परिवहन (एनएमटी) को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है। आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने परामर्श में तीन सूत्री कार्यनीति का सुझाव दिया है। इसे तीन चरणों में लागू किया जायेगा। अल्प ( छह महीने के भीतर), मध्यकालिक (एक वर्ष के भीतर) और दीर्घकालिक (1 से 3 वर्ष) में अपनाया जा सकता है।

पांच किमी के दायरे में एनएमटी 
परामर्श के मुताबिक, अधिकांश शहरी यात्राएं पांच किमी के दायरे में होती हैं, इसलिए गैर मोटर वाले वाहनों के लिए कोविड-19 संकट में इसे लागू करने का सटीक अवसर है। साइकिल, पैदल चलने के साथ बिना इंजन वाले अन्य वाहनों को दोबारा प्रचलन में लाया जाए।

मेट्रो रेल में 25 से 50 फीसदी क्षमता का उपयोग 
भारत के पास 18 बड़े नगरों में 700 किमी की मेट्रो व 11 नगरों में 450 किमी बीआरटी नेटवर्क है, जो रोजाना एक करोड़ यात्रियों के आवागमन को सुगम बनाता है। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के कारण मेट्रो में 25 से 50 प्रतिशत क्षमता का ही उपयोग किया जाएगा।

सार्वजनिक परिवहन के उपयोगकर्ताओं में कमी 
सरकार का कहना है कि मेट्रो, बस जैसे सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने वालों की संख्या में 90 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। इसे पुराने स्तर पर लाना एक बड़ी चुनौती है।

सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी
यात्रियों के अधिक विश्वास के साथ फिर से मेट्रो और बीआरटी जैसी सार्वजनिक परिवहन को आरंभ करना होगा। निम्न व मध्य आय वर्ग के यात्रियों की रोजमर्रा की आवागमन के लिए ये मुख्य सहारा हैं। ऐसे में सेनेटाइजेशन व सोशल डिस्टेंसिंग के उपायों का अनुपालन करते हुए सार्वजनिक परिवहन से संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगाया जाए।

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