पत्नी का इलाज कराने घर से निकले नजरबंद युवक को…परिवार सहित गांव छोड़ने नक्सलियों का फरमान

दंतेवाड़ा
जिले के बारसूर इलाके में कुछ परिवारों को नक्सलियों द्वारा गांव छोड़ने के फरमान के बाद अब उन्हें सुरक्षित ठिकाने की तलाश में गावं गांव भटकना पड़ रहा है। जिसके बाद पीड़ित परिवारों ने एफआईआर भी दर्ज कराई है। हालांकि पुलिस अफसर पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिलाने की बात कह रहे हैं। 

बारसूर इलाके तुलार और तोड़मा गांव के आधा दर्जन परिवारों में से कुछ ने तो नागफनी, मंगनार समेत लोहंडीगुडा इलाके में रिश्तेदारों के घरों में शरण ले रखी है। वहीं रिश्तेदार भी नक्सलियों के खौफ के चलते आश्रय देने से घबरा रहे हैं। 

नक्सली पीड़ित एक युवक का कहना है कि नक्‍सली उससे राशन मांगते थे। जब उसने मना किया तो पहले तो उसे गांव में नजरबंद रखा। जब वह बीमार पत्‍नी का इलाज कराने चोरी-छिपे बाहर गया तो परविार समेत छोड़ने का फरमान जारी कर दिया।

बता दें अंदरूनी गांव में कई घर आज भी नक्‍सलियों के रहमोकरम पर है। यदि उनका फरमान नहीं माना तो परिवार को गांव से बेदखल कर दिया जाता है। ऐसे ही आधा दर्जन परिवार तोड़मा और तुलार से गांव छोड़कर अन्‍य स्‍थलों पर आश्रय लेने मजबूर हैं। 

बारसूर थाने में करीब एक पखवाड़े पहले कलमू नामक युवक ने एफआईआर दर्ज करवाई है।उसके द्वारा कराई गई एफआईआर के मुताबिक गांव में नक्‍सलियों का कहर है। उसके साथ परिवार को मुखबिरी का आरोप लगाकर गांव से भगा दिया। करीब एक माह से उनका परिवार सुरक्षित ठिकाने की तलाश में भटक रहा है। उसकी तरह और भी परिवार गांव छोड़कर अपने रिश्‍तेदारों के पास रह रहे हैं। रिश्‍तेदार भी अब नक्सली खौफ के कारण अब उन्हें आश्रय देने से घबरा रहे हैं।

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