पगडंडियों पर फर्राटे भर रही छत्तीसगढ़ की यह उड़नपरी

रायपुर
 एक छोटे से गांव की पगडंडी पर नंगे पैर 25 किलोमीटर फर्राटा भरती लड़की को देख आप कुछ सोचने पर विवश जरूर होंगे। यह हैं लगभग 20 वर्षीय कौशल्या ध्रुव। मैराथन में छत्तीसगढ़ का नाम देश भर में ऊंचा करने वाली कौशल्या अब विदेशों में भी अपने हुनर के साथ तिरंगा लहरा रही हैं। अब वे वियतनाम दक्षिण पूर्व एशिया में आयोजित मैराथन में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व करेंगी।

बेहद अभावों के बीच पली कौशल्या गांव में ही रहकर मैराथन की तैयारी कर रही हैं। उनके पिता मजदूरी कर किसी तरह घर का खर्च चलाते हैं। छह बहनों में कौशल्या सबसे छोटी हैं। घर की माली हालत बेहद खराब है।

किसी तरह दो जून की रोटी तो नसीब हो जा रही मगर मैराथन की तैयारी के हिसाब से जैसा खान-पान होना चाहिए, वो सपना ही है। कौशल्या खुद बताती हैं कि उन्हें बेहतर खान-पान के साथ ही प्रोटीन आदि न मिलने का खामियाजा कई बार उठाना पड़ा है। हालांकि तिरंगे की छांव मिलते ही उनमें गजब का जोश व जज्बा भर जाता है।

उड़नपरी के नाम से मशहूर पीटी उषा के बाद अब छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव पाटनदादर की कौशल्या को भी लोग उड़नपरी के नाम से ही बुलाते हैं। जाड़ा, गर्मी या बरसात कैसा भी सीजन हो, कौशल्या गांव के कच्चे रास्ते पर सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक दौड़ती रहती हैं। यह उनकी मैराथन तैयारी का हिस्सा है। उनका सपना है देश के नाम ओलंपिक में गोल्ड जीतना।

कौशल्या का सफर छोटी उम्र में सन 2009 में शुरू हुआ जब उन्होंने पहली बार जिला स्तरीय स्कूल मैराथन में हिस्सा लिया। इसके बाद उन्होंने पीछे मुडकर नहीं देखा। कौशल्या राज्यस्तरीय व ऑल इंडिया के साथ ही ओपन नेशनल में पांच, 10 व 21 किलोमीटर मैराथन में प्रथम स्थान पा चुकी हैं। अंतत: कर्नाटक में 21 किलोमीटर की नेशनल मैराथन में बेहतरीन प्रदर्शन के आधार पर कौशल्या का चयन वियतनाम में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय मैराथन प्रतियोगिता के लिए हुआ।

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