नेपाल में पति कर रहा था दूसरी शादी, दिल्ली महिला आयोग ने रुकवाई

नई दिल्ली
दिल्ली महिला आयोग ने एक आदमी को दूसरी शादी करने से रोकने में कामयाबी हासिल की है. महिला आयोग ने एक मामले में हस्तक्षेप करके इस आदमी को दूसरी शादी करने से रोक दिया. यह शख्स दो साल से अपनी पत्नी को छोड़ रखा था और 26 अप्रैल को नेपाल में दूसरी शादी करने जा रहा था. दिल्ली महिला आयोग ने उसकी पत्नी मंजू (परिवर्तित नाम) की शिकायत पर कार्रवाई की. मंजू दिल्ली के बुराड़ी क्षेत्र में रहती है.

मंजू ने दिल्ली महिला आयोग को एक लिखित शिकायत दी थी और आरोप लगाया था कि उसने बिहार निवासी आकाश से 6 साल पहले शादी की थी. आकाश का परिवार उसको शुरू से ही दहेज के लिए प्रताड़ित करता था. शादी के कुछ महीनों बाद जब मंजू गर्भवती हुई, तो आकाश के परिवार ने उसको उसके माता-पिता के पास रहने भेज दिया. जब मंजू ने एक बच्ची को जन्म दिया, तो परिवार ने उससे संपर्क खत्म कर दिया. इसके बाद महिला किसी तरह अपनी बेटी को लेकर नेपाल पहुंची, मगर आकाश के परिवार ने उसका स्वागत करने की बजाए उसको फिर से दहेज के लिए प्रताड़ित करना शुरू कर दिया.

वो लोग मंजू के माता-पिता द्वारा दिए गए सामान का मज़ाक उड़ाते थे. इसके बाद आकाश ने उसे मार-पीटकर घर से निकाल दिया और वह अपने माता-पिता के घर आकर रहने लगी. मंजू कई बार अपनी बेटी को लेकर नेपाल गई, लेकिन उसके पति ने हर बार उसको पीटा. इसके बाद मंजू दिल्ली वापस आ गई. 6 साल की शादी के दौरान आकाश ने एक बार भी उसको अपने साथ आकर रहने को नहीं कहा.

इसके बाद कुछ दिन पहले मंजू को पता चला कि आकाश नेपाल में दूसरी शादी कर रहा है, तो उसने उसकी शादी रुकवाने के लिए दिल्ली महिला आयोग की मदद मांगी, क्योंकि नेपाल में भी शादी के लिए भारत के समान कानून हैं. इसके बाद दिल्ली महिला आयोग की सदस्य प्रोमिला गुप्ता ने केआई नेपाल एनजीओ की सहायता ली. यह एनजीओ महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करती है. यह एनजीओ नेपाल के बीरगंज जिले की पुलिस के साथ आकाश के घर पहुंचा और शादी समारोह को रुकवाया.

अब दिल्ली महिला आयोग मंजू को पति के खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के मामले में केस दर्ज करने की कानूनी सलाह दे रहा है. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल ने कहा, 'हालांकि भारत और पड़ोसी देशों में घरेलू हिंसा के खिलाफ कानून हैं. मगर इन देशों में इसके पालन करने का रिकॉर्ड बहुत ही खराब है और घरेलू हिंसा के मामले ज्यादा मायने नहीं रखते हैं. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इन मामलों में जल्द से जल्द सज़ा हो और इस बारे में जागरूकता फैलनी चाहिए.'

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