नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा- एनसीपी उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार नहीं करेंगे

मुंबई 
अपने बेटे सुजय पाटील के बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील पहली बार मीडिया के सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने उनसे पूछकर फैसला नहीं लिया है। वहीं विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व जो उनसे कहेगा वह वही करेंगे। विखे पाटील ने इस दौरान एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वह एनसीपी के उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं करेंगे।  

विखे पाटील ने कहा, 'शरद पवार ने मेरे पिता के खिलाफ जो बयान दिया उससे पता चलता है कि उनके मन में मेरे और मेरे परिवार के लिए कोई सम्मान नहीं है।' उन्होंने आगे कहा, 'ऐसे में अहमदनगर में एनसीपी के उम्मीदवार के प्रचार अभियान में जाने का कोई तुक नहीं बनता।' उन्होंने कहा कि वह किसी और के लिए भी चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। 

सुजय मुझसे पूछकर बीजेपी में शामिल नहीं हुआ 
अपने बेटे सुजय पाटील के बीजेपी में शामिल होने पर सवालों घिरे राधाकृष्ण पाटील ने कहा, 'सुजय ने बीजेपी में शामिल होने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली थी। जहां तक मेरे विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा देने का सवाल है तो मैं कहना चाहूंगा कि मैं वहीं करूंगा जो मेरी पार्टी का नेतृत्व मुझसे कहेगा।' महाराष्ट्र में कांग्रेस के पुराने निष्ठावान नेता बालासाहेब थोरात ने राधाकृष्ण विखे पाटिल के इस्तीफे की मांग की थी। 

कौन हैं विखे पाटील 
दूसरी ओर चर्चा है कि विखे पाटील भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इससे पहले राजीव गांधी के खिलाफ बगावत करके विखे पाटिल खुद 1995-99 के दौरान तत्कालीन शिवसेना बीजेपी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उस समय विखे के पिता एकनाथ (बालासाहेब) विखे पाटिल शिवसेना के सांसद और वाजपेयी सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे।

शरद पवार ने साधा था निशाना 
दरअसल गठबंधन के तहत अहमदनगर सीट एनसीपी के खाते में गई है जबकि यह सीट विखे पाटील का गृह क्षेत्र मानी जाती है। इसी सीट से विखे पाटील के बेटे सुजय चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन टिकट न मिलने पर वह बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस के लिए इसे बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। इसके बाद शरद पवार ने राधाकृष्ण विखे पाटिल पर निशाना साधते हुए कहा था, 'सुजय विखे पाटिल एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जा रहे हैं और चुनाव लड़ने के लिए एक खास सीट पर जोर दे रहे हैं। उनकी अपरिपक्व इच्छा को पूरा करना दूसरे दलों की जिम्मेदारी नहीं है।' 

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