नागपंचमी के साथ सावन सोमवार, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और लाभ प्राप्ति उपाय

आज देश भर में सावन का तीसरा सोमवार मनाया जा रहा है। इसके साथ ही सावन शुक्ल पंचमी तिथि होने से आज नागपंचमी का त्योहार भी देश के कई हिस्सों में मनाया जा रहा है। धार्मिक ग्रंथों में नागपंचमी के दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की पूजा का विधान बताया गया है। सोमवार के दिन नागपंचमी होने से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। ज्योतिषशास्त्री बता रहे हैं कि करीब 125 साल बाद इस तरह का संयोग बना है जब नागपंचमी और सोमवार एक साथ मनाया जा रहा है।
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त
पंचांग की गणना बताती है कि पंचमी तिथि का आरंभ रविवार 4 अगस्त को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर हो चुका है और यह सोमवार को 3 बजकर 55 मिनट तक होगा। सोमवार को उदया तिथि में पंचमी होने से पूरे दिन पंचमी तिथि मान्य रहेगी। लेकिन नागपंचमी पूजा के लिए सबसे उत्तम समय दिन में 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे को छोड़कर दिन में 3 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

नाग पूजा विधि
नागदेवता की प्रसन्नता के लिए इनकी पूजा में दूध, धान का लावा, दूर्वा, और मिसरी अर्पित करें। नाग देवता की पूजा करते समय इस मंत्र को बोलना बहुत ही शुभ होता है ‘नमोsस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्वी मनु! ये अंतरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नम:।’

नाग पूजा के लाभ
धर्म ग्रंथों में कई प्रमुख नागों का उल्लेख मिलता है। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि नागों के शाप के कारण यानी पूर्वजन्म में सांप को मारने या पिता या पितरों को नाराज करने से कुंडली में नागदेवता कालसर्प योग बनाते हैं। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से कालसर्प और सर्पदोष के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि सर्प योनी में गए हुए पितरों को भी नाग पंचमी पूजा से मुक्ति मिलती है। भविष्य पुराण में कहा गया है कि नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से परिवार में सर्प भय नहीं रहता है।

नाग पंचमी के उपाय पूजा विधि
सर्प भय से मुक्ति के लिए नागपंचमी के लिए घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से नाग बनाकर उस पर दूर्वा और सिंदूर लगाना चाहिए। अगर कौड़ी उपलब्ध हो तो गोबर से बनाए नाग के ऊपर कौड़ी भी लगा दें।

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