नाइट शिफ्ट करने वाली महिलाओं को मेनोपॉज हो जाता है जल्दी
ह्यूमन रिप्रोडक्शन जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, रात की शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में उम्र से पहले मेनोपॉज हो सकता है। डेली मेल में छपी एक स्टडी में पाया गया है कि जो महिलाएं 20 महीने तक रात की शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें जल्दी मेनोपॉज का खतरा बढ़ गया था। वहीं जो महिलाएं 20 साल से अधिक समय से नाइट शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें मेनोपॉज जल्दी होने की गुंजाइश भी काफी हद तक बढ़ जाती है…
9 फीसदी बढ़ जाता है खतरा
रात की शिफ्ट में काम करना चाहे मेल हो या फीमेल, दोनों के लिए ही नुकसानदेह होता है। मैमोरी लॉस से लेकर हड्डियों तक की कई प्रॉब्लम्स से आपको जूझना पड़ सकता है। लेकिन हाल ही में डेली मेल में छपी एक स्टडी के मुताबिक, जो महिलाएं 20 महीने तक रात की शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें जल्दी मेनोपॉज का खतरा 9 प्रतिशत तक बढ़ गया था। वहीं, जो महिलाएं 20 साल से अधिक समय से नाइट शिफ्ट में काम कर रही थीं, उनमें मेनोपॉज का खतरा 73 तक बढ़ जाता है। शोध के प्रमुख लेखक डेविड स्टॉक बताते हैं कि जो महिलाएं 45 वर्ष से पहले मेनोपॉज से गुजरती हैं, उनमें एक चीज खास थी, जो कि नाइट शिफ्ट में काम करना था। हालांकि उनका मानना है कि इस पर अभी रिसर्च की और जरूरत है।
रात में तनाव वाले हार्मोंन रहते हैं ऐक्टिव
ह्युमन रिप्रोडक्शन जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, दिन के बजाय रात में तनाव पैदा करनेवाले हार्मोन ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं, जिससे छोटी-छोटी चीजों पर आपको तनाव हो सकता है। तनाव की वजह से सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन के बनने में बाधा आती है, जो मेनोपॉज के लिए जिम्मेदार हो सकता है। रिसर्च में यह भी पाया गया कि रात में काम करने वाली महिलाएं ओवुलेशन को भी रोकती हैं। अगर आप दिन की शिफ्ट में काम करती हैं तो आपका मेनोपॉज चार से पांच साल तक बढ़ जाता है। यह शोध 80 हजार से अधिक नर्सों पर किया गया है। अध्ययन में उन नर्स महिलाओं को शामिल किया गया था, जो 22 वर्षों से शिफ्ट वर्क में काम कर रही थीं।
मेल के मुकाबले फीमेल के लिए ज्यादा नुकसानदेह
जो महिलाएं रात की शिफ्ट में ज्यादा काम करती हैं, उनको ऑस्टियोपोरोसिस और याददाश्त की समस्या होने लगती है। डॉक्टर संजय महाजन कहते हैं कि नींद हमारी बायॉलजिकल साइकल का एक अहम हिस्सा है और इसकी अनियमितता से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अनियमित नींद और अधूरी नींद के कई कारण हो सकते हैं और नाइट शिफ्ट उन्हीं में से एक है। रिसर्च में यह भी निकलकर आई है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए यह ज्यादा नुकसानदेह है। एक नई रिसर्च के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं के ब्रेन की परफॉरमेंस पर सर्काडियन प्रभाव (24 घंटों का जैविक चक्र) इतना ज्यादा होता है कि नाइट शिफ्ट पूरी होने के बाद महिलाएं बहुत ज्यादा कमजोर महसूस करने लगती हैं। नींद की कमी की वजह से ध्यान लगाने में परेशानी होती है।