लोहिया के बहाने मोदी का विपक्ष पर वार, ये जनता को भी छलेंगे
नई दिल्ली
पीएम नरेंद्र मोदी ने दिग्गज नेता रहे राम मनोहर लोहिया की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कांग्रेस और देश के समाजवादी दलों पर निशाना साधा है। पीएम मोदी ने लोहिया की जंयती पर ब्लॉग लिखकर समाजावदी विचारधारा वाले दलों के कांग्रेस से गठबंधन पर वार करते हुए लिखा है कि जिस गैर-कांग्रेसवाद के लिए लोहिया जीवन भर लड़ते रहे, उसके साथ ही उन्होंने महामिलावटी गठबंधन कर लिया है। पीएम मोदी ने इस ब्लॉग को ट्वीट भी किया है।
पीएम मोदी ने लोहिया का जिक्र कर समाजवादी दलों पर तीखा वार करते हुए कहा कि आज 130 करोड़ भारतीयों के सामने यह सवाल मुंह बाए खड़ा है कि जिन लोगों ने डॉ. लोहिया तक से विश्वासघात किया, उनसे हम देश सेवा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? जाहिर है, जिन लोगों ने डॉ. लोहिया के सिद्धांतों से छल किया है, वे लोग हमेशा की तरह देशवासियों से भी छल करेंगे।
पीएम मोदी ने समाजवादी पार्टी और आरजेडी जैसे दलों पर वार करते हुए कहा, 'दुर्भाग्य की बात है कि राजनीति में आज ऐसे घटनाक्रम सामने आ रहे हैं, जिन्हें देखकर डॉ. लोहिया भी विचलित, व्यथित हो जाते। वे दल जो डॉ. लोहिया को अपना आदर्श बताते हुए नहीं थकते, उन्होंने पूरी तरह से उनके सिद्धांतों को तिलांजलि दे दी है। यहां तक कि ये दल डॉ. लोहिया को अपमानित करने का कोई भी कोई मौका नहीं छोड़ते।'
पीएम मोदी ने ओडिशा के वरिष्ठ समाजवादी नेता सुरेन्द्रनाथ द्विवेदी की एक टिप्पणी का जिक्र करते हुए लिखा, 'डॉ. लोहिया अंग्रेजों के शासनकाल में जितनी बार जेल गए, उससे कहीं अधिक बार उन्हें कांग्रेस की सरकारों ने जेल भेजा। आज उसी कांग्रेस के साथ तथाकथित लोहियावादी पार्टियां अवसरवादी महामिलावटी गठबंधन बनाने को बेचैन हैं। यह विडंबना हास्यास्पद भी है और निंदनीय भी है।'
लोहिया के जरिए साधा वंशवादी राजनीति पर निशाना
पीएम मोदी ने लिखा, 'डॉ. लोहिया वंशवादी राजनीति को हमेशा लोकतंत्र के लिए घातक मानते थे। आज वह यह देखकर जरूर हैरान-परेशान होते कि उनके ‘अनुयायी’ के लिए अपने परिवारों के हित देशहित से ऊपर हैं। डॉ. लोहिया का मानना था कि जो व्यक्ति ‘समता’, ‘समानता’ और ‘समत्व भाव’ से कार्य करता है, वह योगी है। दुख की बात है कि स्वयं को लोहियावादी कहने वाली पार्टियों ने इस सिद्धांत को भुला दिया। वे‘सत्ता’, ‘स्वार्थ’ और ‘शोषण’ में विश्वास करती हैं। इन पार्टियों को जैसे तैसे सत्ता हथियाने, जनता की धन-संपत्ति को लूटने और शोषण में महारत हासिल है। गरीब, दलित, पिछड़े और वंचित समुदाय के लोगों के साथ ही महिलाएं इनके शासन में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, क्योंकि ये पार्टियां अपराधी और असामाजिक तत्त्वों को खुली छूट देने का काम करती हैं।