नहीं सताता बॉस का डर, ये लोग ऑफिस में काम करते-करते सो जाते हैं

 

 

अगर आपसे कोई कहे कि नींद आने पर बॉस के साथ बात करते-करते सो जाता है… या ऑफिस में जब उसे नींद आती है तो उसे सोने के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता… आप और हम इन बातों को सुनकर हैरान हो सकते हैं या हंस सकते हैं। लेकिन ऐसी स्थिति वाकई कुछ लोगों के साथ होती है। इसका कारण इनकी आदत नहीं बल्कि नींद से जुड़ी एक समस्या होती है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है…

क्यों आती है इतनी खतरनाक नींद?
-कुछ लोगों को जब नींद आती है तो उनका अपनी नींद पर कोई वश नहीं होता है। ऐसा उनके साथ कभी-कभी नहीं बल्कि हर रोज होता है और किसी भी समय ऐसा हो सकता है।

-कई बार इन लोगों के साथ ऐसा भी होता है, जब इनके जागने और सोने के बीच कुछ भी साफ नहीं होता। यानी इनकी आखें खुली हो सकती है, इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि ये बहुत थके हुए हैं। लेकिन इस दौरान इनका दिमाग सो रहा होता है।

आधी सोती और आधी जागती अवस्था
-आप इस बात को इस तरह समझ सकते हैं कि ये लोग कच्ची नींद में होते हैं। इस स्थिति में कई बार ये लोग बुरे और डरावने सपने भी देखते हैं। यह एक तरह की बीमारी होती है। इसे नार्कोलेप्सी नाम से जाना जाता है।

-जिन लोगों को यह समस्या होती है, वे चाहे ऑफिस में हों या किसी जरूरी मिटिंग में, जिस समय उन्हें नींद का आवेग होता है, वे चाहकर भी खुद को सोने से नहीं रोक पाते हैं। हमारे देश में मानसिक सेहत पर वैसे भी ध्यान नहीं दिया जाता है और जब कोई व्यक्ति इस तरह की समस्या से जूझ रहा होता है तो हम उसे लापरवाह या कामचोर कहकर और अधिक परेशान करने लगते हैं, जो कि पूरी तरह गलत है।

हाथ-पैर भी नहीं हिल पाते
-नार्कोलेप्सी का ही एक लक्षण होता है कैटाप्लेक्सी। यह एक ऐसी स्थिति होती है, जब अचानक से व्यक्ति अपने शरीर पर नियंत्रण खो देता है। वह अचानक से चलते-चलते गिर पड़ता है या नींद से जगने के बाद जब बेड से उठने की कोशिश करता है तो उठ नहीं पाता है।

क्यों होती हैं ये समस्याएं?
-अब सवाल यह उठता है कि आखिर किसी व्यक्ति के साथ इस तरह की समस्याएं होती ही क्यों हैं? तो इसका कारण होता है ब्रेन में बनने वाला हॉर्मोन हायपोक्रेटिन। हमारे ब्रेन के हायपोथैलेमस नामक हिस्से में हायपोक्रेटिन हॉर्मोन का रिसाव होता है। इसी हॉर्मोन के चलते हमारा सोने और जागने के क्रम बनता है।

-जब हमारे ब्रेन में किसी भी कारण इस हॉर्मोन का सीक्रेशन कम हो जाता है तो हमारी नींद और हमारे जागने का क्रम गड़बड़ा जाता है। साथ ही हमारे दिमाग और हमारे शरीर के बीच का कनेक्शन भी बाधित होता है। इसी कारण कई बार ब्रेन तो जाग जाता है लेकिन व्यक्ति चाहकर भी अपने शरीर को बिस्तर से हिला-डुला या उठा नहीं पाता है। यह स्थिति आमतौर पर नींद से जागने के तुरंत बाद या नींद के शुरुआती चरण में होती है। इसलिए इसे स्लीप पैरालिसिस कहा जाता है।

क्या है समस्या का समाधान?
-नार्कोलेप्सी, कैटाप्लेक्सी या स्लीप पैरालिसिस ये सभी समस्याएं मानसिक सेहत से जुड़ी हुई हैं और इनका इलाज बहुत ही आसानी से संभव है। इन समस्याओं के समाधान के लिए आप किसी आयुर्वेदिक फिजिशियन या मनोचिकित्सक से मिलें।

-कुछ दवाओं और कुछ थेरेपीज के जरिए इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। इस तरह की समस्याओं को अनदेखा करने पर इनका सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए इस तरह की बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति का समय पर और पूरा इलाज कराना जरूरी है। ताकि वे भी अन्य लोगों की तरह स्वस्थ जीवन जी सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *