नहीं चली सीएस रंजन की नोटशीट और शोभा ओझा का पांवर, प्रोफसर को मिलेगी आयोग चेयरमेन की कुर्सी 

भोपाल
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के चेयरमेन की कुर्सी पर अपना व्यक्ति बैठाने के लिए राज्य के मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती ने नोटशीट तक लिख डाली और कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता शोभा ओझा ने भी अपना दांव लगा दिया, लेकिन बाजी एक प्रोफेसर मार ले गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग अध्यक्ष की नियुक्ति का फैसला राज्य निर्वाचन आयोग की स्वीकृति के बाद ही लेगा। 

आयोग का चेयरमेन बनने के लिए लंंबी कतार आज भी लगी हुई है। प्रशासनिक से लेकर राजनैतिक गलियारों में जोर अजमाईश चल रही है। अध्यक्ष बनाने के लिए सीएस आरएस मोहंती ने उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी को नोटशीट तक लिखकर भेज दी है। नोटशीट में पूर्व डीजीपी स्वराज पूरी का नाम दिया गया है, जो वर्तमान में आयोग में सदस्य के साथ प्रभारी सचिव का कार्य भी देख रहे हैं। 

मंत्री पटवारी ने स्वराज पूरी का पिछला रिकार्ड देखने के बाद उनकी फाइल को नजरअंदाज कर दिया है। इसके बाद भी आयोग सदस्य पूरी अध्यक्ष का चार्ज लेने के लिए काफी उत्सुक बने हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की प्रदेश वक्ता शोभा ओझा अपनी ननद प्रो. निशा दुबे पर दांव लगा रही हैं। प्रो. दुबे बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में कुलपति का एक कार्यकाल पूर्ण कर चुकी हैं। वर्तमान में वे बीयू में प्रोफेसर के रूप में पदस्थ हैं। वे पारिवारिक कारणों से भोपाल के बाहर हैं। 

प्रवक्ता ओझा ने प्रो. दुबे को अध्यक्ष बनाने के लिए काफी प्रयास किए हैं, लेकिन उनके प्रयास सफल नहीं हो सके हैं। मंत्री पटवारी ने आयोग के अध्यक्ष के लिए योग्य उम्मीदवार का चयन कर फाइल की स्वीकृति के लिए राज्य निवार्यन आयोग फाइल भेज दी है। फाइल में एक प्रोफेसर का नाम शामिल किया गया है। ये प्रोफेसर विक्रम विवि उज्जैन में पदस्थ हैं। उनके रिसर्च वर्क और कैरियर को देखते हुए उन्हें आयोग की जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया गया है। निर्वाचन आयोग से स्वीकृति मिलने के बाद उच्च शिक्षा विभाग नियुक्त आदेश जारी कर देगा। 

पांडे दे चुके हैं इस्तीफा 
आयोग अध्यक्ष अखिलेश कुमार पांडे ने एक मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे रखा है, जिसे आठ मार्च को स्वीकृत कर लिया गया है। उनका इस्तीफा स्वीकृत होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने प्रभारी के तौर अपने व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने की फाइल चलाते हुए चयन प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। इस्तीफा होने पर शासन छह छह माह के लिए अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है। इसलिए शासन ने अपने व्यक्ति का चयन कर फाइल को राज्य निर्वाचन आयोग भेज दी है। 

शासन ने छीना राजभवन के अधिकार  
आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति राज्यपाल करता है। उच्च शिक्षा विभाग ने अपना व्यक्ति बैठाने एक नोटिफिकेशन जारी कर रखा है। ये विभाग अपने व्यक्ति को पहले छह माह के लिए पदस्थ करेगा। इस दौरान प्रोफेसर का कार्य अध्यक्ष के रूप में सफल रहता है, तो उनका कार्यकाल छह माह के लिए और बढ़या जा सकेगा। नियमानुसार राजभवन आयोग के किसी भी सदस्य को दो माह तक प्रभारी अध्यक्ष नियुक्त करता है। विभाग विज्ञापन जारी कर तीन व्यक्तियों का पैनल राजभवन भेज देता है। राज्यपाल उनमें से किसी एक उम्मीदवार को अध्यक्ष नियुक्त करता है। जबकि नोटिफिकेशन के तहत शासन एक साल तक अपने व्यक्ति को अध्यक्ष नियुक्त करने जा रहा है। 

पूरी को देना पड़ता इस्तीफा 
आयोग में सदस्य के रूप में स्वराज पूरी पदस्थ हैं। वे अध्यक्ष बनने के प्रवल दावेदार बताए जा रहे थे, लेकिन उनको अध्यक्ष बनने के लिए अपनी सदस्यता से इस्तीफा देना होता। क्योंकि इसके बाद वे एक साल तक अध्यक्ष के तौर पर आयोग में पदस्थ हो सकते थे, लेकिन उनका नाम अध्यक्ष की फाइल से हटाकर उन्हें सदस्य के रूप में आयोग में पदस्थ किया गया है। 
 

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