नमक रोटी खाएंगे लेकिन शहर नहीं जाएंगे: मजदूर 

 
गया 

देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना संकट के बीच देश में लॉकडाउन लागू है. वहीं लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मजदूर और गरीब वर्ग के लोगों पर देखने को मिला है. इस बीच गांव लौटे कई मजदूरों का कहना है कि वो वापस अब शहर नहीं जाना चाहते हैं.
 
लॉकडाउन के कारण देश में मजदूरों का पलायन जारी है. वहीं पलायन के बाद अपने गांव पहुंचे मजदूर भी पहले अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. उन्हें घर जाने से पहले क्वारनटीन किया जा रहा है. गुजरात के सूरत से ट्रक में बैठकर बिहार पहुंचे एक मजदूर जितेंद्र यादव भी अब शहर वापस नहीं जाने की ठान चुके हैं.
 
सूरत में मजदूरी करने वाले जितेंद्र यादव और उनके भाई का लॉकडाउन के बाद रोजगार खत्म हो गया और रोटी मिलनी बंद हो गई. मजबूरी उन्हें वापस गांव की ओर ले आई. सामान के नाम पर कुछ बचा नहीं है, कुछ लेकर लौटे हैं तो वह है बेबसी और आंख में आंसू. जितेंद्र का बिहार के गया शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर कोठमथू गांव है. वहीं अब जितेंद्र ने दो टूक कह दिया कि भूखे मर जाएंगे लेकिन शहर नहीं जाएंगे.

जितेंद्र ने बताया कि रास्ते का सफर भी मुश्किल था. दो महीना सूरत में जिंदा रहने के लिए गांव से 12000 रुपये मंगवाए और कसम खाई है कि अब नमक रोटी खाएंगे लेकिन सूरत नहीं जाएंगे. हालांकि गांव पहुंचने के बाद भी इनके लिए घर अभी दूर है.

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