चाइल्ड पॉर्न विडियो पर लगाम लगाने में वॉट्सऐप नाकाम!

चेन्नई
देश में बच्चों के यौन उत्पीड़न के विडियो शेयर करने के लिए वॉट्सऐप चैट ग्रुप्स का इस्तेमाल जारी है। हालांकि फेसबुक के मालिकाना हक वाली मेसेजिंग ऐप वॉट्सऐप का दावा है कि वह इस तरह के कॉन्टेंट को 'बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने' की पॉलिसी पर चलती है।

सायबर सिक्यॉरिटी से जुड़ी सायबर पीस फाउंडेशन (CPF) की ओर से मार्च में दो सप्ताह से अधिक तक की गई जांच में कॉन्टेंट से जुड़े दर्जनों वॉट्सऐप ग्रुप पाए गए। इन ग्रुप की पहचान एक वॉट्सऐप पब्लिक ग्रुप डिस्कवरी ऐप के जरिए की गई है। इस ऐप को गूगल प्लेस्टोर ने दिसंबर में बैन कर दिया था, लेकिन गूगल पर सर्च के बाद इसे अभी भी आसानी से खोजा जा सकता है।

सायबर पीस फाउंडेशन में ट्रेनिंग और पॉलिसी की जिम्मेदारी संभालने वाले नीतीश चंदन ने बताया, 'दलाल भी अब ऑनलाइन आ गए हैं। बहुत से ऐसे ग्रुप हैं जो पैसे के बदले बच्चों और वयस्कों के साथ फिजिकल कॉन्टैक्ट को बढ़ावा देते हैं।'

बच्चों को किसी तरह की अनुचित गतिविधि में दिखाने से जुड़े मटीरियल के पब्लिकेशन या ट्रांसमिशन पर इंफर्मेशन टेक्नॉलजी एक्ट, 2000 के सेक्शन 67B के तहत प्रतिबंध है।

इस बारे में वॉट्सऐप की प्रवक्ता ने कहा, 'वॉट्सऐप यूजर्स की सुरक्षा का काफी ध्यान रखता है और हम बच्चों के यौन उत्पीड़न को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करते हैं। हमने इस रिपोर्ट को देखा है और सुनिश्चित किया है कि इस तरह के अकाउंट्स को हमारे प्लेटफॉर्म से बैन किया जाए।'

वॉट्सऐप की वेबसाइट पर बताया गया है कि पिछले तीन महीनों में उसने हर महीने बच्चों को अनुचित गतिविधि में दिखाने के शक वाले लगभग 2,50,000 अकाउंट्स को दुनिया भर में बैन किया है।

केंद्र सरकार ने फेक न्यूज, भड़काऊ भाषण और यौन उत्पीड़न वाले कॉन्टेंट को फैलाने वालों को पकड़ने के लिए वॉट्सऐप के मेसेज को ट्रेस करने की सुविधा मांगी थी। लेकिन वॉट्सऐप ने इस मांग का विरोध किया है। उसका कहना है कि वॉट्सऐप एक एनक्रिप्टेड प्लैटफॉर्म है। इस बारे में होम मिनिस्ट्री और इंफर्मेशन टेक्नॉलजी मिनिस्ट्री को भेजी गई ईमेल का उत्तर नहीं मिला।

वॉट्सऐप ने 2016 में एक ग्रुप्स के लिए एक इनवाइट-लिंक फीचर शुरू किया था। इससे किसी सदस्य को जाने बिना ग्रुप को खोजना और शामिल होना आसान बन गया है। सोशल मीडिया पर चाइल्ड पॉर्नोग्रफी के फैलने पर रोक लगाने में नाकामी की कानूनी जानकार भी निंदा कर रहे हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यौन उत्पीड़न से जुड़े कॉन्टेंट के सर्कुलेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक एनजीओ की याचिका की पैरवी करने वाली एडवोकेट अपर्णा भट ने कहा, 'इसमें नया क्या है? हम इसे लेकर चार वर्ष पहले कोर्ट गए थे।'

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