नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार, संबद्धता के नियमों में होगा बदलाव
भोपाल
शिक्षा में गुणवत्ता के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बहुप्रतीक्षित नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार कर उस पर अमल की तैयारी शुरु कर दी है। इसके तहत विद्वानों से सुझाव मांगे गए हैं, जिसके बाद कुछ जरूरी संशोधन करने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस मसौदा में शिक्षा की गुणवत्ता व स्तर को सुधारने के लिए सारे बड़े व जरूरी बदलाव करने के प्रयास किए गए हैं। जिनमें प्रमुख रूप से संबद्धता की प्रथा में बदलाव के साथ ही इसे बंद करना शामिल हैं। एमफिल पाठ्यक्रमों को बंद करने एवं शैक्षणिक संस्थाओं को विश्वविद्यालय व स्वयत्त महाविद्यालय बनाने की योजना है और स्वयत्त महाविद्यालय भी उपाधि दे सकेंगे।
नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार कर लिया है और इस पर 31 जुलाई तक सभी से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इसे संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डी.पी सिंह ने देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति को पत्र लिखकर प्रारूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि प्रारूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 पर अपने संस्थान में चर्चाओं की एक श्रृंखला का आयोजन विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से इसके निष्कर्षों का व्यापक प्रचार करें। सभी विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थानों को इस संबंध में की गई कार्रवाई की जानकारी 22 जुलाई तक यूजीसी को भेजनी है।
प्रारूप नई शिक्षा नीति 2019 पर फीडबैक एवं सुझाव 31 जुलाई तक भेजे जा सकते हैं। पूरे देश में आने वाले सुझाव को आत्मसात करने के बाद 21वीं सदी की देश की पहली नई शिक्षा नीति 2019 को मंजूरी मिल जाएगी।
नई नीति में यह हैं प्रमुख बिंदु
- 2035 तक सकल नामांकन अनुपात 50 फीसदी बढ़ाना
- मिशन नालंदा और मिशन तक्षशिला का शुभारंभ किया जाएगा
- सभी संस्थाएं या तो विश्वविद्यालय होंगे या उपाधि देने वाले स्वयत्त महाविद्यालय होंगे।
- निष्पक्ष और पारदर्शी व्यवस्था के माध्यम से पर्याप्त सार्वजनिक निवेश होगा।
- पीएचडी के लिए मास्टर डिग्री या ऑनर्स के साथ 4 साल की स्नातक की डिग्री की आश्वयकता होगी।
- एमफिल प्रोग्राम बंद कर दिया जाएगा।
- च्वाइस बेस्ड के्रडिट सिस्टम को संशोधित किया जाएगा।
- विद्यार्थियों के लिए शैक्षिक, वित्तीय और भावनात्मक सहायता उपलब्ध होगी।
- मैसिब ओपन ऑनलाइन कोर्सेस (मूक) का विस्तार होगा।
- विद्यार्थी शिक्षण अनुपात 30 : 1 एक से अधिक न हो।
- तदर्थ संविदा नियुक्तियों पर रोक।
- सरकार सहित बाहरी हस्तक्षेप को समाप्त किया जाएगा।
- सभी उच्च शिक्षण संस्थाए, स्वयत्त/स्वशासी संस्थाएं बन जाएगी और संबद्धता की प्रथा बंद कर दी जाएगी।
- सार्वजनिक और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए ही नियामक व्यवस्था होगी। निजी परोपकारी पहल को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- वर्तमान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शिक्षण परिषद में बदल जाएगा।
देश के विश्वविद्यालयों की स्थिति
- केंद्रीय विश्वविद्यालय 48
- राज्य विश्वविद्यालय 399
- डीम्ड विश्विद्यालय 126
- राज्य निजी विवि 334