भारत सरकार ने प्रदेश के 4 जिलों में तलाशी काजू की खेती की संभावनाएँ

भोपाल

प्रदेश में काजू की खेती की सभावनाएँ तलाशने के लिए भारत सरकार के निदेशक काजू एवं कोको विकास निदेशालय, कोच्ची डॉ. वेंकटेश एन. हुबल्ली ने छिन्दवाड़ा, बालाघाट और सिवनी जिलों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के ग्रामों का दौरा किया, ग्रामीणों से चर्चा की।

बालाघाट जिले के ग्राम देवरीमेटा में डॉ. हुब्बली ने मनरेगा की शैलपर्ण योजना में रोपित काजू के पौधों को देखकर कहा कि बंजर पहाड़ी जमीन पर काजू की खेती की बहुत संभावनाएँ हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा काजू की खेती के लिए मध्यप्रदेश के 4 जिलों छिन्दवाड़ा, बैतूल, सिवनी और बालाघाट का चयन किया गया है।

डॉ. वेंकटेश एन. हुबल्ली ने बालाघाट जिले में पाथरी पुलिस चौकी के सामने लगे 25 वर्ष पुराने काजू के वृक्षों और गोवारी पंचायत के ग्राम देवरीमेटा में मनरेगा में 42 एकड़ क्षेत्र में दो वर्ष पहले लगाये गये काजू के पौधों को देखा। जब उन्हें बताया गया कि देवरीमेटा में काजू के पौधों ने दो वर्ष में ही फल देना शुरू कर दिया है, तो वे चकित रह गये। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि अच्छी देखभाल से काजू का अधिक उत्पादन मिलेगा।

छिन्दवाड़ा में मिली असीम संभावनाएँ

भ्रमण के पहले डॉ. वेंकटेश ने छिन्दवाड़ा जिले में काजू उत्पादन की दृष्टि से तामिया और जुन्नारदेव विकासखण्ड के ग्रामीण अंचल का दौरा किया। डॉ. वेंकटेश ने यहाँ की जलवायु को काजू की पैदावार के लिए अनुकूल माना और कार्य-योजना बनाने की जरूरत बताई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *