नई मोदी सरकार में बड़ा हो सकता है कैबिनेट का आकार

 नई दिल्ली
 
भाजपा और एनडीए के अन्य घटक दलों की शानदार जीत के बाद अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिलने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। एनडीए के सांसदों की संख्या करीब साढ़े तीन सौ पहुंचने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सभी प्रकार के समीकरणों का ध्यान रखते हुए एक संतुलित मंत्रिंमडल का गठन करना चुनौतीपूर्ण होगा। 
संभावना व्यक्त की जा रही है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्यों को मंत्रिमंडल में अच्छा प्रतिनिधित्व मिलेगा क्योंकि इन राज्यों में भाजपा ने सर्वाधिक सीटें जीती हैं।
2014 में 46 मंत्री : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 2014 में अपना पहला मंत्रिमंडल गठित किया था तो उनके समेत कुल 46 मंत्री बनाए गए थे। जिनमें 23 कैबिनेट मंत्री, 10 स्वतंत्र प्रभार मंत्री तथा 12 राज्यमंत्री थे। 
80 बनाए जा सकते हैं : केंद्रीय मंत्रिमंडल में हालांकि 80 तक मंत्री बनाए जा सकते हैं लेकिन तब मिनिमम गवर्मेट मैक्सिमम गवर्नेंस का नारा दिया गया था इसलिए मंत्रिमंडल का आकार छोटा रखा गया था। हालांकि 14वीं लोकसभा के आखिर में मंत्रिमंडल का आकार बढ गया था और इनकी संख्या 75 तक पहुंच गई थी जिसमें 26 कैबिनेट, 11 स्वतंत्र प्रभार और 38 राज्यमंत्री थे। 

घटक शामिल होंगे : सभी प्रमुख दलों जैसे शिवसेना, अकाली दल, जद (यू), लोजपा, अपना दल, अन्नाद्रमुक को प्रतिनिधित्व दे सकते हैं। राज्यों के भावी चुनावों को देखते हुए इनमें से एक-एक सीट वाले कुछ सांसदों को भी मंत्री बनाया जा सकता है। 

पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों पर नई सरकार में विशेष फोकस रहेगा। इसलिए इन राज्यों से कई वरिष्ठ नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। इसके अलावा ओडिशा से भी दो या इससे अधिक मंत्री बनाए जा सकते हैं। हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों से भी कैबिनेट में प्रतिनिधित्व देने का दबाव सरकार पर रहेगा। 

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