धुंधली फोटो लगाकर दिलाई नौकरी, अनामिका शुक्ला मामले में कई जिलों से जुड़े हैं रैकेट के तार

 लखनऊ 
बीते वर्षों में बेसिक शिक्षा विभाग के तहत संचालित सर्व शिक्षा अभियान के अर्न्तगत खुले कस्तूरबा विद्यालयों मे शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया बीते वर्ष से रैकेट के निशाने पर है। नियुक्ति कराने वालों के इस रैकेट में विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। रैकेट की पहुंच एक दो जिले में नहीं बल्कि सूबे के तमाम जिलों तक है। अनामिका शुक्ला प्रकरण से रैकेट की मौजूदगी साबित होने लगी है। 

यह रैकेट मैनपुरी, कासगंज, रायबरेली, बागपत, सहारनपुर, अम्बेडकर नगर, अलीगढ़, प्रयागराज, वारणसी, अमेठी, जिले के कस्तूरबा विद्यालयों में नियुक्ति कराने से जुड़ा मिल रहा है। गोण्डा जिले में बीएसए डॉ. इन्द्रजीत प्रजापति के समक्ष पेश हो करके असली अनामिका शुक्ला ने दावा किया है कि उसके पास उसके शैक्षिक अभिलेखों की मूल प्रतियां मौजूद हैं जिससे साफ हुआ है कि रैकेट ने अनामिका शुक्ला के शैक्षिक अभिलेखों का फर्जी तरीक से मूल अभिलेखों जैसे दिखने वाले अभिलेख बनवा रखे थे। या फिर नियुक्ति करवाते समय अफसर मूल दस्तावेज देख ही नहीं रहे थे। कई जगह पकड़ी गई लड़कियों ने धुंधली फोटो लगाकर खुद को अनामिका बताकर नौकरी हासिल कर रखी थी। 

विभाग नहीं कराता है अभिलेखों का सत्यापन : कस्तूरबा विद्यालयों में काम करने वाली शिक्षिकाओं को बेहद कम मानदेय मिलता है बस इसी कारण से विभाग ने बिना अभिलेखों का सत्यापन कराए नौकरी देना जारी रखा। विभाग की इस ढिलाई को कॉकस ने हथियार बना लिया। इस ढिलाई के कारण अलग अलग जिलों में काम करने वाली शिक्षिकाओं के अभिलेखों का सत्यापन नहीं कराया गया। 

पते का सत्यापन होता तो नहीं होती ऐसी घटना : बीएसए डॉ. इन्द्रजीत प्रजापति ने बताया कि वर्ष 2019 में जिले में निकली कस्तूरबा विद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया में अनामिका शुक्ला के नाम से आवेदन आया था। मगर मेरिट में आने के बावजूद भी वो ज्वाइन करने नहीं आई। आवेदन के साथ लगाया गया निवास प्रमाण पत्र मैनपुरी जिले का था। मगर शैक्षिक अभिलेख अनामिका के थे।

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