देश भर में यात्राओं पर निकल लोगों से जुड़ें राहुल गांधी: अभिषेक मनु सिंघवी

 
नई दिल्ली 

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी अध्यक्ष पद छोड़ने के अपने फैसले को वापस लेने के मूड में नहीं दिख रहे। इस बीच कांग्रेस की अधिकतर राज्य ईकाइयां और उसके प्रमुख नेताओं का मानना है कि राहुल को अपने इस फैसले पर गहनता से पुनर्विचार करना चाहिए। बुधवार को कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पार्टी में फिर से जान फूंकने के लिए राहुल गांधी को खास सलाह दी है। सिंघवी ने राहुल के लिए 6 सूत्री कार्यक्रम पर अमल करने का सुझाव दिया है। 
 
सिंघवी को भरोसा है कि उनके इस 6 सूत्री सुझावों पर अगर अमल किया जाए तो ये पार्टी के लिए 'रचनात्मक सुधार' साबित होंगे। इन सुझावों में सिंघवी ने कांग्रेस अध्यक्ष को सबसे अहम सलाह यह दी है कि उन्हें 90-180 दिनों तक देश भर में यात्राएं करने का अपना कार्यक्रम बनाना चाहिए। सिंघवी ने जोर दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी ये यात्राएं रेल और पैदल करनी चाहिए, ताकि वे बिना किसी राजनीतिक उद्देश्य के लोगों से खुद को जोड़ पाएं। 
 

यात्राओं से मिलने वाले इन अनुभवों को राहुल गांधी को कांग्रेस कार्यसमिति में लागू करने में मदद मिलेगी और वे इन अनुभव से कांग्रेस में उपजी खरपतवार को अलग करक पाएंगे। इसके अलावा इस सीनियर नेता ने यह भी सिफारिश की है कि पार्टी में खास पदों पर तय किए जाने वाले नेतृत्व में भी उम्र की सीमा को लागू किया जाए। इसके बाद कुछ कड़े मानदंडों के आधार पर राज्य स्तर के दो नेताओं का चुनाव किया जाना चाहिए। सिंघवी ने खास जोर दिया है कि इस प्रक्रिया के बाद जब खास जिम्मेदारी निभाने के लिए नेताओं का चयन हो तो फिर इस प्रक्रिया में कांग्रेस नेताओं के साथ उनकी व्यक्तिगत दोस्ती आड़े नहीं आनी चाहिए। 

अपनी इन सलाहों में सिंघवी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि राहुल गांधी को पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो फिर यह बीजेपी की चाल को सफल करने वाला साबित होगा। अगर राहुल गांधी अध्यक्ष पद पर बने रहने की बात जब तक नहीं मानते हैं तो फिर उन्हें कम से कम तब तक तो अध्यक्ष पद पर बने ही रहना चाहिए, जब तक यह सुधार पार्टी में ठीक ढंग से लागू न हो जाएं। 
 
इस दौरान कांग्रेस पार्टी को मिलकर इस पद के लिए किसी ऐसे व्यक्ति का चयन करना होगा, जो पार्टी की यह जिम्मेदारी सही ढंग से निभा सके। बता दें 1 जून को पार्लियामेंट कॉम्पलेक्स में कांग्रेस पार्टी हार के कारणों और आगे की रणनीति पर चर्चा के लिए एक खास मीटिंग करेगी। 

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