देवशयनी एकदाशी: भगवान विष्णु के निद्रा अवस्था में जाने से पहले इस मंत्र से कर लें उन्हें प्रसन्न

इस साल 12 जुलाई, शुक्रवार को आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी है जिसे शास्त्रों में देवशयनी एकदाशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष से लेकर कार्तिक माह की शुक्ल एकादशी तक भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में रहते हैं। चार महीनों के इस अंतराल को चतुर्मास या चौमासा कहा जाता है। भगवान विष्णु के शयन के लिए जाने से पहले भक्त उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विधिपूर्वक पूजा पाठ करते हैं।

निद्रा अवस्था में जाने से जुड़ी कथा
एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु चार महीनों के लिए पाताल लोक में राजा बलि के पास चले जाते हैं। जगत के पालनहार विष्णु ने जब वामन अवतार लिया था तब उन्होंने राजा बलि से वादा किया था कि वो हर वर्ष निश्चित समय के लिए पाताल लोक में आकर रहेंगे।

कुछ लोगों का ये भी मानना है कि भगवान विष्णु इन चार महीनों के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं और वहां विश्राम करते हैं।

एक अन्य कथा भी है मशहूर
दूसरी कथा के अनुसार भगवान विष्णु का शंखचूर नाम के असुर से कई वर्षों तक युद्ध चला और अंत में उन्होंने शंखचूर का वध करके विजयी हासिल की। इस युद्ध के बाद भगवान थक गए। इस स्थिति को देखते हुए देवताओं ने भगवान विष्णु की पूजा की और उनसे आराम करने की विनती की। इसके बाद विष्णु जी शेषनाग की शैय्या पर चार महीने के लिए योगनिद्रा में सो गए। इसके बाद से ही हर साल भगवान विष्णु का शयनोत्स्व आषाढ़ माह की शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है।

देवशयनी एकदाशी है सबसे उत्तम और मोक्षदायी
धार्मिक शास्त्रों में ये बताया गया है कि देवशयनी एकदाशी के दिन भगवान विष्णु की खास पूजा होनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पूरे वर्ष पड़ने वाली 24 एकादशी में आषाढ़ शुक्ल और कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का व्रत सबसे उत्तम और मोक्षदायी होता है।

देवशयनी एकदाशी पर पूजा के दौरान पढ़ें ये मंत्र
देवशयनी एकदाशी की रात में भगवान विष्णु के लिए चादर, तकिया और शयन के लिए जिन चीजों की आवश्यकता हो उसका इंतजाम करके भगवान को सुलाना चाहिए।

इस मंत्र के उच्चारण के साथ भगवान विष्णु को सुलाएं- सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्वे च बुध्येत प्रसन्नो मे भवाव्यय।।

देवशयनी एकदाशी व्रत का मुहूर्त
इस साल एकादशी का आरंभ 11 जुलाई की रात 1 बजकर 2 मिनट पर हो जायेगा और ये 13 जुलाई की रात 12 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगा। देश में देवशयनी एकदाशी का व्रत और पूजन 12 जुलाई को किया जाएगा। व्रत का पारण करने की तिथि 13 जुलाई है।

 

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