दुश्मनों को LAC पर मिलेगा अब मुंहतोड़ जवाब, जवानों को मिली कार्रवाई करने की पूरी छूट

नई दिल्ली
गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद सेना ने युद्ध के नियम (रूल ऑफ इंगेजमेंट) में एक अहम बदलाव किया है। इसके तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात सभी कमांडरों को इस बात की पूरी आजादी दी गई है कि वे हालात को संभालने के लिए सामरिक स्तर पर कोई भी कार्रवाई कर सकते हैं। नाम ना बताने की शर्त पर दो वरिष्ठ अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। एक अधिकारी ने कहा कि एलएसी पर तैनात सभी कमांडर अब हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के नियम से बाध्य नहीं होंगे और उन्हें पूरा अधिकार होगा कि वे "असाधारण स्थितियों" से निपटने के लिए सभी संसाधनों का उपयोग करें।

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेनाओं के बीच गतिरोध कम करने के प्रयासों के बीच सोमवार (15 जून) को गलवान घाटी में तीन घंटे तक दोनों सेनाओं के बीच चले खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के एक कमांडिग अधिकारी (कर्नल) समेत 20 जवान शहीद हो गए थे, जिसके बाद भारतीय सेना को बदलाव करना पड़ा है। सोमवार रात हुई झड़प में चीनी जवानों के मारे जाने की भी पुष्टि की गई है, लेकिन चीन की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए हैं। हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के भी करीब 40 सैनिक मारे गए हैं या तो जख्मी हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शुक्रवार (19 जून) को सर्वदलीय बैठक में राजनीतिक दलों से कहा था कि सेनाओं को यथोचित कार्रवाई के लिए पूरी छूट दी गई है। हमारी सेनाएं, सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत, शांति और मित्रता चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ऐसे में, हमने जहां एक तरफ सेना को अपने स्तर पर उचित कदम उठाने की छूट दी है, वहीं दूसरी तरफ डिप्लोमैटिक माध्यमों से भी चीन को अपनी बात दो टूक स्पष्ट कर दी है। निश्चित तौर पर, चीन द्वारा एलएसी पर जो किया गया है, उससे पूरा देश आहत है, आक्रोशित है। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष दलों के नेताओं से कहा कि हम सभी देश की सीमाओं की रक्षा में दिन-रात लगे हमारे वीर जवानों के साथ चट्टान की तरह खड़े हैं।

लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चीन के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय सैनिकों के पास हथियार होते हुए भी उन्होंने भारत व चीन के बीच द्विपक्षीय समझौतों के कारण इनका इस्तेमाल नहीं किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अनुसार, "भारतीय सैनिकों ने हथियारों का उपयोग करने से परहेज किया क्योंकि वे 1996 और 2005 के दो द्विपक्षीय समझौतों से बंधे थे।" 1996 के समझौते के अनुसार, "कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता का उपयोग नहीं करेगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सीमा क्षेत्रों में दोनों ओर से तैनात किसी भी सशस्त्र बल को उनके संबंधित सैन्य ताकत के हिस्से के रूप में उपयोग नहीं किया जाएगा। कोई भी पक्ष दूसरे पक्ष पर हमला करने, या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को खतरे में डालने वाली सैन्य गतिविधियों में संलग्न नहीं होगा।"

सोमवार (15 जून) को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 1975 में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सैनिक की मौत हुई थी। 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब खराब हुई जब बीते पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। यह घटना अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ''अलग" हुए, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।

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