दिल्ली-एनसीआर की हवा फिर ‘गंभीर’ की श्रेणी में, 30 घंटे बाद सुधार के आसार

 नई दिल्ली 
नए साल के जश्न से पहले ही राजधानी की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है। इस हवा में सांस लेने से लोगों को काफी अधिक परेशानियां हो रही हैं। इससे भी अहम है कि प्रदूषण नए साल की खुशी में भी खलल डालेगा। न्यू ईयर ईव पर जश्न लोगों को मास्क पहनकर ही मनाना होगा क्योंकि 1 जनवरी से पहले प्रदूषण के कम होने की कोई संभावना नहीं है। 
 
सफर के पूर्वानुमान के अनुसार न्यू ईयर ईव पर दिल्ली और एनसीआर की हवा गंभीर श्रेणी में रहेगी। सफर-हाई रिसॉल्युशन मॉडल फोरकॉस्ट के अनुसार रविवार शाम से ही राजधानी में प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरु हो जाएगा और यह अगले 30 घंटों तक गंभीर श्रेणी में ही बना रहेगा। यानी यदि आप प्रदूषण की वजह से नए साल का जश्न रात की बजाय अगले दिन सुबह परिवार के साथ घूमकर मनाना चाहते हैं तो प्रदूषण आपके उस प्लान पर भी पानी फेर देगा। 

30 घंटे के बाद ही प्रदूषण के स्तर में कुछ सुधार होगा। वह भी तब जब नए साल में लोकल वजहें स्थिति को न बिगाड़ें। दरअसल इस वक्त हवा की स्पीड काफी कम हो गई है। अभी तक दिन के समय हवा तेज हो रही थी जिसकी वजह से कुछ समय के लिए प्रदूषण से राहत मिल जाती थी, लेकिन अब अगले कुछ दिनों तक दिन में भी हवा की गति काफी कम रहेगी। ऐसे में यदि न्यू ईयर ईव में ओपन फायर, पटाखे, जाम और फ्यूल आदि से निकलने वाला धुंआ बढ़ा तो प्रदूषण काफी अधिक बढ़ सकता है और ऐसी स्थिति में एक जनवरी को भी राजधानी को इसी स्तर का प्रदूषण झेलना होगा। सुबह के समय घने से मध्यम स्तर का कोहरा रहेगा। 

दिल्ली से सटे शहर हाई अलर्ट पर 
दिल्ली समेत इससे सटे चार शहरों को जानलेवा प्रदूषण को देखते हुए हाई अलर्ट पर रखा गया है। इन चार शहरों में नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और गाजियाबाद शामिल हैं। सीपीसीबी की टास्क फोर्स मीटिंग में इन शहरों की सिविक एजेंसियों को निर्देश दिए गए हैं कि कंस्ट्रक्शन और ओपन बर्निंग के मामले में इन्हें जीरो टॉलरेंस जोन में रखा जाए। इसके अलावा किसी भी कीमत पर न्यू ईयर पर दिल्ली-एनसीआर में आतिशबाजी न होने दी जाए। 

ईपीसीए को सुझाव दिया है कि ऐसी स्थिति में हॉट स्पॉट पर जमीनी स्तर पर काम करना जरूरी है। सिविक एजेंसियां यहां सख्ती से कार्रवाई करें। दिल्ली और इससे लगते चार शहरों नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम को हाई अर्ल्ट पर रखा जाए और यहां नाइट पट्रोलिंग काफी सख्त की जाए। जीरो टॉलरेंस जोन के आधार पर इन शहरों में कंस्ट्रक्शन और ओपन बर्निंग के खिलाफ एक्शन हो। साथ ही आतिशबाजी हरगिज न होने पाए या फिर सिर्फ ग्रीन क्रैकर्स का ही इस्तेमाल हो। 
 

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