जंगल को बचाने के लिए धमतरी के ग्रामीणों ने खोला मोर्चा, चला रहे ये अभियान

धमतरी
धमतरी (Dhamtari)  के नगरी इलाके में अब जंगलों (Forest) को अतिक्रमण (Encroachment) से बचाने ग्रामीणों (Villagers) ने ही मोर्चा संभाल लिया है. तीन गावों के सैकड़ों ग्रामीणों ने जंगल की जमीन पर अवैध रूप से काबिज लोगों को खदेड़ने की मुहिम चलाई है. लोगों का कहना है कि जिस जंगल से हमे सब कुछ मिलता है उसे उजड़ने नहीं देंगे. वहीं वन विभाग (Forest Department) भी कानूनी रूप से जंगल बचाने की जंग लड़ रहा है. नगरी इलाके में आजकल अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. परसापानी, बटनहर्रा और महामल्ला गांव के बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सब अपना घर छोड़ कर जंगल को बचाने जंगलों में ही रहने लगे है. क्योंकि यहां के जंगलों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है.

न सिर्फ कब्जा बल्कि पेड़ों को काटकर वहां झोपड़िया बनाना और खेती करने का काम भी ये लोग कर रहे है. इन्हें रोकने के लिए तीन गांव के लोग एक हो गए है और बाहरी लोगों को रोजाना खदेड़ने का अभियान चला रहे है. अपनी जमीन बचाने के लिए यहां का आम ग्रामीण वनरक्षक बन गया है. ग्रामीणों का मानना है कि कई पुरखों (Forefathers) से वे लोग इस जंगल में रह रहे है. जंगलों से ही इनका जीवन चलता है. इस कारण जंगल से एक भावनात्मक रिश्ता भी कायम हो गया है. इन लोगों का साफ कहना है कि जंगल है तो हम है, हम हैं तो जगंल है.

वैसे तो जंगल को अतिक्रमण से बचाने का काम वन विभाग का है. लेकिन वन विभाग को सारा काम कानून कायदों के दायरे में रहकर ही करना पड़ता है. शायद अब वो कायदे नाकाफी साबित हो रहे है. वन विभाग के डीएफओ अमिताभ वाजपेयी के मुताबिक इस वन मंडल क्षेत्र में जगल पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए है. केस वन विभाग अदालत में लड़ रहा है.

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