दलाई लामा की 85वीं वर्षगांठ से बढ़ सकती है चीन की बेचैनी

नई दिल्ली
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सीमा विवाद के चलते भारत और चीन के सैनिक आमने सामने हैं और भारी तनाव की स्थिति बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ सोमवार को निर्वासित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की 85वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सोमवार को भारत और दुनिया में मनाए जाने वाले समारोहों से बीजिंग की बेचैनी और बढ़ सकती है। ट्विटर पर दलाई लामा ने अमेरिकन भौतिक विज्ञानी डेविड बोह्म के बारे में स्पेशल ऑनलाइन स्क्रीनिंग की योजना का ऐलान किया है, जिन्हें तिब्बती धर्मगुरु अपने साइंस के गुरुओं में से एक मानते हैं। रविवार (5 जुलाई) को दलाई लामा की 85वीं वर्षगांठ के मौके पर ताइवान में आयोजित समारोहों के दौरान उन्होंने शिरकरत करते हुए जनरल टीचिंग ऑन माइंड की ट्रेनिंग दी। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें कॉल कर जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी थी। जिस वक्त कॉल किया गया था वे यात्रा कर रहे थे और अपने घर की वापसी कर रहे थे। गृह मंत्री अमित शाह साल 2019 में कॉल नहीं कर पाए थे लेकिन उनकी पत्नी और बेटे ने दलाई लामा को इस खास मौके पर उनकी तरफ से बधाई दी थी।

भारत ने दलाई लाम को उस वक्त शरण दी थी जब वे 23 वर्ष के थे और अप्रैल 1959 में अरूणाचल प्रदेश के तवांग में पार कर चीन से बचते हुए आ गए थे। चीन ने उससे 9 साल पहले आक्रमण किया था और बीजिंग के शासन के खिलाफ विद्रोह को बेरहमी से दबा दिया था। भारत ने दलाई लामा और उनके हजारों तिब्बती अनुयायियों को हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में शरण दे रखी है, जहां पर वे तब से निर्वासित की जिंदगी जी रहे हैं। भारत में करीब 80 हजार निर्वासित तिब्बती रह रहे हैं, जबकि करीब डेढ़ लाख से ज्यादा अमेरिका और यूरोप समेत दुनियाभर के अन्य देशों में हैं। लेकिन, चीन ने न उन्हें छोड़ा और न ही तिब्बती लोगों को। शांति और मानवता का संदेश देने वाले दलाई लामा को चीन ने आतंकी करार दिया और तिब्बत के बुद्धिज्म को बर्बाद करने के प्रयास का आरोप लगाया। 

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