दरभंगा, सुपौल, बेतिया और झारखंड की चतरा सीट को लेकर आरजेडी-कांग्रेस महागठबंधन में दरार

 
नई दिल्ली 

बिहार की दरभंगा, सुपौल और झारखंड की चतरा लोकसभा सीट को लेकर आरजेडी-कांग्रेस में मतभेदों से चुनाव से ऐन पहले महागठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है। दोनों पार्टियों के बीच मतभेद की वजह से बीजेपी के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की गुरुवार को कांग्रेस में एंट्री भी टल गई। संकट की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब यह मामला सोनिया गांधी के दरबार पहुंच चुका है। गुरुवार को सोनिया ने अहमद पटेल और कुछ दूसरे कांग्रेस नेताओं के साथ इसे लेकर करीब घंटे भर बैठक भी कीं। इतना ही नहीं, लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के बागी तेवरों से खुद आरजेडी के भीतर भी सब कुछ ठीक नहीं है। तेज 2 सीटों पर अपनी पसंद के उम्मीदवार चाहते हैं।  

विवाद की वजह से टल गया उम्मीदवारों का ऐलान 
चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद बिहार में विपक्षी महागठबंधन ने आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बीच सीटों के बंटवारे का ऐलान किया था, लेकिन कुछ ही दिनों में गठबंधन की दीवार दरकती हुई दिखने लगी है। दरभंगा और सुपौल सीट को लेकर महागठबंधन के 2 बड़े सहयोगियों कांग्रेस और आरजेडी में मतभेद उभर आए हैं। आरजेडी-कांग्रेस में विवाद की वजह से बिहार में मिथिलांचल समेत बाकी सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों का ऐलान भी टल गया। दूसरी तरफ एनडीए पहले ही अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। संकट को गहराने से रोकने के लिए बिहार कांग्रेस चीफ मदन मोहन झा जहां गुरुवार को दिल्ली पहुंचे, वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। 

शत्रुघ्न सिन्हा की कांग्रेस में एंट्री भी टली 
महागठबंधन में दरार की वजह से पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा की कांग्रेस में एन्ट्री भी गुरुवार को टल गई। उनका कांग्रेस में शामिल होना तय था और इसके लिए गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुला ली गई थी, लेकिन महागठबंधन के बीच सबकुछ तय नहीं होने के कारण इसे टाल दिया गया। हालांकि बाद में शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा बाकी कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात की। सिन्हा ने यह भी साफ कर दिया कि हालात जैसे भी हो, वह पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे। अब वह 6 अप्रैल को कांग्रेस में शामिल होंगे। 

दरभंगा पर पेच 
हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए कीर्ति आजाद दरभंगा से सांसद हैं, वहीं जन अधिकार पार्टी के संरक्षण पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन सुपौल से कांग्रेस की सांसद हैं। दरभंगा सीट पर अप्रैल के आखिर में वोटिंग होनी है और कांग्रेस वहां से मौजूदा सांसद कीर्ति आजाद पर दांव खेलना चाहती है, जो मैथिल ब्राह्मण हैं। दूसरी तरफ, आरजेडी यहां से पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को लड़ाना चाहती है। आरजेडी के एम. ए. ए. फातमी कई बार दरभंगा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जहां अच्छी-खासी मुस्लिम आबादी है। मिथिलांचल क्षेत्र का दिल माने जाने वाले दरभंगा में ब्राह्मण वोट 10 प्रतिशत से भी कम है। 

बेतिया में स्थानीय आरजेडी नेता बढ़ा रहे मुश्किल 
इसके अलावा बेतिया सीट को लेकर भी महागठबंधन में मतभेद दिख रहे हैं। यहां से आरजेडी नेता राजन तिवारी ने यह कहते हुए अपनी उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया है कि अगर किसी बाहरी को यहां से लड़ाया गया तो वह खुद चुनौती देंगे। दरअसल, दरभंगा सीट पर फंसे पेच के मद्देनजर ऐसी भी अटकलें थीं कि कीर्ति आजाद को बेतिया सीट से लड़ाया जा सकता है। इन अटकलों से आरजेडी का स्थानीय नेतृत्व नाराज है। 

पप्पू यादव ने भी बढ़ाया सरदर्द 
कांग्रेस-आरजेडी के बीच दरार मधेपुरा के मौजूदा सांसद पप्पू यादव की वजह से भी बढ़ी है, जिनकी पत्नी और कांग्रेस नेता रंजीता रंजन सुपौल से सांसद हैं। आरजेडी से टिकट नहीं मिलने के बाद पप्पू यादव ने मधेपुरा से बतौर निर्दलीय पर्चा भर दिया है। यहां से शरद यादव महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। पप्पू की उम्मीदवारी से मधेपुरा में महागठबंधन का गणित बिगड़ गया है। अब आरजेडी ने पप्पू यादव की पत्नी और कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन की सीट सुपौल पर अपना उम्मीदवार उतारने की धमकी दी है। महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में दी गई है। हालांकि, बताया जा रहा है कि आरजेडी ने सुपौल सीट को लेकर अब अपने तेवर नरम कर लिए हैं। 

झारखंड की चतरा सीट ने भी बढ़ाई मुश्किल 
आरजेडी के झारखंड में चतरा से अपने उम्मीदवार को उतारने के कदम से भी महागठबंधन में दरार पड़ी है। आरजेडी को झारखंड में चुनाव लड़ने के लिए महागठबंधन में पलामू की सीट दी गई थी, लेकिन उसके चतरा से भी उम्मीदवार उतारने के इरादे को देखते हुए कांग्रेस भी अब बिहार में गठबंधन के तहत मिली 9 सीटों से अधिक पर चुनाव लड़ना चाहती है। आरजेडी की झारखंड यूनिट में विद्रोह के कारण पार्टी ने चतरा लोकसभा सीट से पटना के बड़े कारोबारी सुभाष यादव को टिकट देने का फैसला किया है। यह सीट महागठबंधन के तहत कांग्रेस को आवंटित की गई थी। 

तेज प्रताप के बागी तेवर 
बिहार में महागठबंधन पर जहां कांग्रेस-आरजेडी विवाद की आंच पड़ रही है, दूसरी तरफ आरजेडी के अंदरूनी घमासान का भी इस पर बुरा असर पड़ सकता है। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने राज्य की दो सीटों- जहानाबाद और शिवहर से अपनी पसंद के उम्मीदवार को टिकट देने की मांग की थी। अब छात्र आरजेडी के संरक्षण पद से इस्तीफा देकर उन्होंने बागी तेवर अपना लिए हैं। तेज प्रताप के ट्वीट से तो यही संकेत मिलता है कि लालू परिवार में ही सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।  

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