दंतेवाड़ा को सर्वाधिक पिछड़े जिले के अभिशाप से मुक्ति दिलाने रोडमैप तैयार

रायपुर
 दंतेवाड़ा जिले को सर्वाधिक पिछड़े जिले (आकांक्षी जिले) होने के कलंक से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार ने रोडमैप तैयार कर लिया है। जनवरी के तीसरे या चौथे सप्ताह से इसका विधिवत क्रियान्वयन आरंभ कर दिया जाएगा। कार्ययोजना के तहत स्व-सहायता समूहों के माध्यम से मध्यान्ह भोजन योजना कार्यक्रम, सुपोषण अभियान, लघु वनोपजों के कलेक्शन, प्रोसेसिंग एवं मार्केटिंग, हार्टिकल्चर और शासकीय रेसीडेन्शियल शालाओं में सभी आवश्यक सामग्री की आपूर्ति इत्यादि कार्यों के माध्यम से लगभग 13 हजार परिवारों की सस्टनेबल इनकम (स्थायी आय) बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही जिले के नौ हजार 834 परिवार जिन्हें वनाधिकार अनियम अंतर्गत पट्टे पर भूमि दी गई है, उन परिवारों के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इससे उनकी भी स्थायी आय का स्त्रोत तैयार किया जा सकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के साथ यह विडंबना है कि उन क्षेत्रों में गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बेरोजगारी तथा निम्न स्वास्थ्य सूचकांक गैर आदिवासी क्षेत्रों की तुलना में बहुत निचले क्रम पर है। भारतीय रिजर्व बैंक एवं वर्ल्ड बैंक के अनुमानों के अनुसार बस्तर के जिलों में बीपीएल परिवारों का प्रतिशत 50-60 के बीच है। जबकि देश में बीपीएल परिवारों का औसत लगभग 22 प्रतिशत है। पिछले 15 वर्षों में आदिवासी क्षेत्रों में संरचना विकास के नाम पर हजारों करोड़ व्यय किए गए, लेकिन आदिवासियों की मूलभूत समस्याओं में कोई सुधार नहीं हो सका। सरकार ने दंतेवाड़ा जिले का चयन किया है, जो माओवादी हिंसा की चपेट में है। जहां सभी आर्थिक-सामाजिक सूचकांक निम्न स्थान पर है। यहां लगभग 57 प्रतिशत परिवार अर्थात 28 हजार परिवार गरीबी रेखा के नीचे है। सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि आगामी चार सालों में दंतवोड़ा जिले में गरीबी उन्मूलन के लिए विशेष अभियान चलाकर वहां रहने वाले बीपीएल परिवारों की संख्या राष्ट्रीय औसत से कम अर्थात 22 प्रतिशत से कम के स्तर पर लाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दंतेवाड़ा जिले के अनुभवों के आार पर इस कार्यक्रम के तहत आगामी वर्ष पुन: दो ऐसे जिलों का चिन्हांकन किया जाएगा, जहां बीपीएल परिवारों का प्रतिशत सर्वाधिक है। उन जिलों में भी स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप कार्ययोजना बनाई जाएगी। पिछड़े एवं गरीब जिले कहलाने के दंश से मुक्ति दिलाई जाएगी। राज्य सरकार द्वारा इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन सर्वाधिक प्राथमिकता (वॉर-फुटिंग) के आार पर किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक न राशि मुहैया कराई जाएगी।

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