…तो ये है डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाने का बेस्ट टाइम

अमेरिका के फिलाडेल्फिया के अनुसंधानकर्ताओं की एक नई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाने का सबसे बेस्ट समय सुबह के 8 बजे का समय है। स्टडी की मानें तो सुबह के वक्त इस बात की संभावना अधिक रहती है कि डॉक्टर मरीज को टेस्ट स्क्रीनिंग करवाने के लिए कहें। तो वहीं, दोपहर के वक्त या फिर शाम में डॉक्टर के पास जाने पर खतरनाक बीमारियों के लिए भी डॉक्टर द्वारा टेस्ट या स्क्रीनिंग लिखने के चांसेज घटते जाते हैं।

इस स्टडी में यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिल्वेनिया और जॉन हॉप्किन्स यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ता शामिल थे जिन्होंने 19 हजार 254 महिला मरीजों पर स्टडी की। ये सभी वैसी मरीज थीं जिनमें ब्रेस्ट या कोलोरेक्टल कैंसर होने की आशंका थी और जिन्हें कैंसर स्क्रीनिंग की जरूरत थी। इस रिसर्च का उद्देश्य यह जानना था कि क्या निर्णय लेते वक्त थकान का असर मेडिकल स्क्रीनिंग्स का एक फैक्टर बन सकता है जिसका असर निर्णय लेने में बढ़ते बोझ का एक कारण हो सकता है।

सुबह 8 बजे का समय डॉक्टर को दिखाने का बेस्ट टाइम
इसे सिंपल शब्दों में समझें तो चूंकि जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ता जाता है डॉक्टरों पर मरीजों को चेक करना का बोझ और प्रेशर दोनों बढ़ने लगता है और शायद यही वजह है कि दिन खत्म होते-होते इस बात की आशंका बढ़ जाती है कि डॉक्टर, मरीज को जरूरत होने के बावजूद किसी तरह की अडिशनल स्क्रीनिंग करवाने के लिए न कहें। इस स्टडी में यह बात भी सामने आयी कि डॉक्टरों द्वारा सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाने की सलाह सुबह 8 बजे ही दी गई थी जबकी सबसे कम दिन में 11 बजे और फिर शाम में 5 बजे। कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग के नतीजे भी कुछ ऐसे ही थे।

निर्णय लेते वक्त थकान महसूस होने का असर
decision fatigue यानी निर्णय लेते वक्त थकान महसूस होने का असर दोपहर में या फिर शाम के वक्त डॉक्टर से क्लिनिक अपॉइंटमेंट लेने वाले मरीजों में देखा जाता है। उदाहरण के लिए- इन्फ्लूएंजा वैक्सिनेशन रेट जिसकी शुरुआत सुबह के वक्त 44 प्रतिशत से हुई थी वह दिन खत्म होते-होते 32 प्रतिशत पर आ गया। स्टडी के सबूत और नतीजे इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि दिन खत्म होते वक्त अगर कोई मरीज डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर द्वारा अनुचित और गैरजरूरी ऐंटिबायॉटिक प्रिस्क्राइब करने की संभावना अधिक रहती है। साथ ही हॉस्पिटल शिफ्ट खत्म होते वक्त डॉक्टरों और हॉस्पिटल स्टाफ द्वारा सही तरीके से हैंडवॉशिंग भी नहीं की जाती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *