तीन तलाक बिल राज्यसभा में पास, जानें कब क्या हुआ

 नई दिल्ली
 
तीन बार लोकसभा से पास हो चुके तीन तलाक पर मंगलवार को राज्यसभा ने भी अपने कड़ी परीक्षा के बाद अपनी मुहर लगा दी। हालांकि, नीतीश कुमार की जेडीयू और एआईएडीएमके समेत कुछ दलों ने राज्यसभा में वोटिंग के दौरान हाजिर न रहने का फैसला किया था। इन दलों की वोटिंग के दौरान गैर मौजूदगी के चलेत 240 सदस्यी राज्यसभा में जरूरी आकंड़े तीन तलाक बिल के पक्ष में पड़ पाए। विपक्षी दलों ने तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जान के मांग की ती। लेकिन, सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने के प्रस्ताव में 84 वोट ही पड़े जबकि इसके खिलाफ 100 वोट पड़े। इसके फौरन बाद तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास हो गया।

तीन तलाक बिल की लंबी यात्रा

पहली बार लोकसभा में पेश

28, दिसंबर, 2017: सरकार ने बिल लोकसभा में पेश किया। कई दलों ने इसका विरोध किया। बिल में 19 संशोधन सुझाए गए लेकिन सभी खारिज कर दिए गए। राज्यसभा में बिल पास नहीं हो सका।

सरकार अध्यादेश लाई

19 सितंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इस प्रथा का लगातार इस्तेमाल होने पर सरकार अध्यादेश ले आई जिसे राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी।

फिर विधेयक पेश 

17 दिसंबर 2018: एक बार फिर सरकार बिल को लोकसभा में नए सिरे से पेश करने पहुंची। हालांकि, एक बार फिर विपक्ष ने राज्यसभा में इसे पास नहीं होने दिया। 

दूसरा अध्यादेश 

12 जनवरी 2019: राज्यसभा में बिल अटकने और जनवरी 2019 में पहले अध्यादेश की अवधि पूरी होने के कारण सरकार ने एक बार फिर से अध्यादेश जारी कर दिए।

तीसरा अध्यादेश

3 फरवरी 2019: सरकार ने एकबार फिर अध्यादेश जारी कर तीन तलाक को अपराध घोषित कर दिया। 

विधेयक 2019 पेश 

21 जून 2019: तीन तलाक बिल-2019 को 21 जून 2019 को विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में पेश किया गया। इससे पहले 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद बिल ने मान्यता खो दी थी। 

बिल पास
25 जुलाई को लोकसभा में यह बिल पास हो गया। 

डेढ़ साल अदालत में चला मामला

5 फरवरी, 2016 : तीन तलाक पीड़ित पांच महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 
7 अक्तूबर, 2016 : केंद्र ने पहली बार सर्वोच्च न्यायालय में तीन तलाक प्रथा का विरोध किया।
16 फरवरी, 2017 : मामले की सुनवाई के लिए पांच जजों की संवैधानिक पीठ के गठन की घोषणा की।
27 मार्च, 2017: पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट में बताया कि तीन तलाक का मामला न्यायिक क्षेत्र में नहीं आता।
11 अप्रैल, 2017 : केंद्र ने कोर्ट को बताया कि यह प्रथा संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।
21 अप्रैल, 2017 : मुस्लिम पुरुष से शादी करनेवाली एक हिंदू महिला द्वारा तीन तलाक को खत्म करने के लिए दाखिल याचिका को दिल्ली हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया।
3 मई, 2017 : पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद को न्याय मित्र नियुक्त किया गया।
11-17 मई, 2017 : मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली संवैधानिक खंडपीठ ने तीन तलाक पर सुनवाई शुरू की।
22 अगस्त, 2017 : तीन तलाक को अवैध करार दिया गया।

कोर्ट ने कहा था, छह माह में कानून लाएं

2017 में सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो केस में फैसला देते हुए तुरंत तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया। अलग-अलग धर्मों वाले 5 जजों की बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाते हुए सरकार से इस दिशा में छह महीने के अंदर कानून लाने को कहा था। 

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