तमिलनाडु के तूतीकोरिन में एक हेयरड्रेसर ने अपने सैलून को ही लाइब्रेरी बना दिया

 

मदुरै
पढ़ाई से उनके लगाव में जब गरीबी आड़े आ गई तो तमिलनाडु के तूतीकोरिन में एक हेयरड्रेसर ने अपने सैलून को ही लाइब्रेरी बना दिया। तूतीकोरिन के हेयरड्रेसर पी पोनमरियाप्पन हर युवा को पढ़ने की आदत डलवाना चाहते हैं। स्कूल छोड़ने के बाद उन्होंने सैलून का कारोबार शुरू किया तो साथ ही अपने शौक को जिंदा रखने के लिए किताबें रखनी भी शुरू कर दीं। उनके सैलून में 800 से ज्यादा किताबों का कलेक्शन है। किताब पढ़ने और फीडबैक देने वाले ग्राहकों को वह 30 फीसदी डिस्काउंट भी देते हैं।
गरीबी की वजह से पोनमरियाप्पन (38) आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई जारी नहीं रख सके लेकिन ज्ञान बढ़ाने के शौक के चलते उन्होंने अपनी दुकान में एक ऑडियो सिस्टम सेट किया जिसमें उन्होंने प्रसिद्ध तमिल वक्ता सुगी शिवम, नेल्लई कन्नन, तमिलारुवी मनियन और भारती भास्कर की स्पीच को प्ले किया। जल्द ही किताबें पढ़ना उनका शौक बन गया और उन्हें किताबें इकट्ठा करने और दुकान में डिस्प्ले करने का विचार मिला।

'किताबें ज्ञान बढ़ाने का सबसे अच्छा जरिया होती हैं'
पोनमरियाप्पन कहते हैं, 'मुझे ऊंची शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिला, लेकिन मुझे अहसास हुआ कि किताबें आपका ज्ञान बढ़ाने के लिए सबसे बढ़िया माध्यम होती हैं। इसलिए मैंने किताबें इकट्ठा करना शुरू किया और स्कूल स्टूडेंट्स व युवाओं को इसे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।' वह अपनी दुकान में आने वाले ग्राहकों से हेयर कटिंग के लिए बारी आने के इंतजार के दौरान किताब पढ़ने के लिए कहते हैं। हालांकि सेलफोन पर व्यस्त रहने वाला युवा वर्ग कई बार पोनमरियप्पन की इस मांग से नाराज हो जाता है।

युवाओं को किताबें पढ़ने से परहेज
रवि नाम के एक ग्राहक शिकायत करते हुए कहते हैं, 'हम अपनी टेक्स्टबुक के साथ काफी समय बिताते हैं और अब वह हमें सैलून में किताबें पढ़ने के लिए दबाव बना रहे हैं।' स्टूडेंट्स कम से कम एक किताब के कुछ पन्ने तो पढ़ें, यह सुनिश्चित करने के लिए वह उन्हें एक छोटी किताब में जितना पढ़ा उसका सारांश लिखने के लिए कहते हैं।

कनिमोझी ने भी दान में दीं किताबें
पोनमरियाप्पन ने छह साल पहले 250 किताबों का कलेक्शन तैयार किया था और अब उनके बाद करीब 850 किताबें हैं। इनमें से अधिकतर तमिल में हैं और इंग्लिश में कुछ महान नेताओं की जीवनी है। अपनी इस नेक पहले के लिए कई लोग उनकी तारीफ कर चुके हैं। पोनमरियाप्पन के पसंदीदा लेखक ए रामकृष्णन ने भी उनके इस प्रयास की तारीफ की जबकि तूतीकोरिन से सांसद कनिमोझी ने उन्हें 50 किताबें दान कीं।

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