डोभाल का सीक्रेट दौरा, शाह की प्लानिंग, पढ़ें अनुच्छेद 370 के इतिहास बनने की पूरी कहानी

 
नई दिल्ली   
 
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 की विदाई का प्लान पावर कॉरिडोर की शीर्ष हस्तियों के बीच लोकसभा चुनाव से पहले ही आ चुका था. इस मुद्दे पर असल काम जून 2019 के दूसरे सप्ताह में शुरू हुआ. लोकसभा चुनाव के बाद प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने वाली बीजेपी अब इस प्लान को अमली जामा पहुंचाना चाहती थी. जून के दूसरे सप्ताह में अमित शाह कश्मीर दौरे पर गए. इस दौरान गृह मंत्री ने सीनियर नौकरशाहों और सेना के बड़े अधिकारियों से लंबी बातचीत की. जम्मू-कश्मीर के जमीनी हालात का जायजा लेकर अमित शाह दिल्ली लौटे.

डोभाल का सीक्रेट श्रीनगर दौरा

दिल्ली से आदेश मिलने के बाद सरकारी अधिकारी और ब्यूरोक्रेसी ग्राउंड वर्क में जुट गईं. केंद्र जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों और सुरक्षा बलों के साथ मिलकर ये आकलन करने में लग गया कि अगर इस फैसले को लागू करने के बाद कुछ अनहोनी होती है तो उससे कैसे निपटा जाएगा. जब जम्मू-कश्मीर और केंद्र करगिल युद्ध की 20वीं वर्षगांठ मनाने में व्यस्त थे, उसी दौरान एनएसए अजित डोभाल ने 23 और 24 जुलाई को श्रीनगर का सीक्रेट दौरा किया. इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए अजित डोभाल तब तक आर्मी, एयर फोर्स, एनटीआरओ, आईबी, रॉ, अर्द्धसैनिक बलों और राज्य की ब्यूरोक्रेसी के साथ सामंजस्य बना चुके थे. एनएसए ने इस प्लान को लागू करने के लिए बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाए.

इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए पाकिस्तान की ओर से सतर्क रहना बेहद जरूरी था. एनएसए ने सर्विलांस और टोही विमानों की मदद ली और बॉर्डर, LoC, PoK पर लगातार निगरानी रखी गई. आतंकवादियों और अलगाववादियों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए 20 ड्रोन के लाइव फुटेज की मदद ली गई. ये ड्रोन LoC और अमरनाथ यात्रा पर रूट की निगरानी कर रहे थे. एयर फोर्स को बिना कारण बताए कहा गया कि वो देश के अलग-अलग ठिकानों से अर्द्धसैनिक बलों के मूवमेंट के लिए 10 सी-17 और 6 सी-130J विमानों को मुहैया कराए. पिछले सप्ताह अमित शाह ने आर्मी चीफ और एयर फोर्स से सीधे बात की और उन्हें सेनाओं को तैनात करने का आदेश दिया. इसके साथ ही उन्हें ट्रांसपोर्ट सुविधा को तैयार रखने को कहा गया.  

2000 सैटेलाइट फोन का नेटवर्क

पुलिस और आर्मी को कहा गया कि उनके पास जितने भी सैटेलाइट फोन हैं सभी को जमा किया जाए. आखिरकार 2000 सैटेलाइट फोन को सेना के अफसरों और राज्य सरकार के अफसरों के बीच बांटा गया ताकि इस फैसले को लागू करने के बाद जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जाए. घाटी में लगभग 45 हजार जवान तैनात किए गए. इस पूरी एक्सरसाइज के दौरान एनएसए और उनकी टीम ने पूरी गोपनीयता बनाए रखी. मीडिया और लोगों को इस दौरान जो एक मात्र जानकारी मिली वो ये थी कि कश्मीर में सुरक्षाबलों की भारी संख्या में तैनाती हो रही है. इस दौरान इजरायली ड्रोन्स को भी पीर पंजाल रेंज में भेजा ताकि जरूरत पड़ने पर भीड़ को काबू करने में इसका इस्तेमाल किया जा सके.

अलर्ट पर रहा काउंटर टेररिज्म ग्रिड

श्रीनगर एयरपोर्ट से सुखोई और मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने दर्जनों उड़ानें भरीं. एनएसए अजीत डोभाल ने काउंटर टेररिज्म ग्रिड के अधिकारियों के साथ बैठक की और प्लान पर विस्तृत चर्चा की, ताकि योजना को लागू करने के बाद आतंकी हमलों की सूरत में इसका जवाब तैयार रखा जा सके.

इस बीच सरकार ने सेना को एलओसी के पास मौजूद आतंकी कैंपों पर जोरदार जवाबी कार्रवाई की अनुमति दे दी. सेना ने पाक फायरिंग का जवाब देने के लिए बोफोर्स तोप का इस्तेमाल किया.

जम्मू-कश्मीर में NSA की मीटिंग के दौरान ही अमरनाथ यात्रा में कटौती का फैसला लिया गया. इसी बैठक में एनएसए ने सुझाव दिया कि जम्मू-कश्मीर से सभी सैलानियों को बाहर निकलने को कहा जाए. इस बैठक में अर्द्धसैनिक बलों की 100 और कंपनियों को वहां भेजने का फैसला लिया गया. इसका इस्तेमाल बैक-अप के रूप में करने पर सहमति बनी. आर्मी चीफ हर उस स्थान पर गए और सुरक्षा इंतजामों का जायजा लिया जहां इस योजना को लागू करने के बाद सुरक्षा संबंधी चिंता पैदा हो सकती थी.

अमित शाह के हाथ में मिशन

इसके बाद इस पूरे मिशन को गृह मंत्री अमित शाह ने अपने हाथ में ले लिया. इधर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस फैसले से जुड़े सभी कानूनी पहलुओं की समीक्षा एक कोर टीम के साथ कर रहे थे. इस कोर टीम में कानून और न्याय सचिव आलोक श्रीवास्तव, अतिरिक्त सचिव लॉ (होम) आर एस वर्मा, एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, गृह सचिव राजीब गौबा और कश्मीर पर उनकी टीम के लोग शामिल थे. आर्मी चीफ, खुफिया एजेंसियों के प्रमुख और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के प्रमुख भी चौबीसों घंटे गृह सचिव सचिव और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव के साथ संपर्क में थे.

4 अगस्त, कयामत की रात

4 अगस्त की रात को मुख्य सचिव ने जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह को कई एहतियाती कदम उठाने को कहे. इसमें कश्मीरी नेताओं की नजरबंदी और गिरफ्तारी, मोबाइल सेवाओं को बंद करना, लैंडलाइन टेलिफोन सेवाओं की सुविधा खत्म करना, धारा-144 लागू करना और कर्फ्यू लागू करने के लिए ड्रिल करना शामिल था. 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *