टैंक से जेट, बनाएंगी निजी कंपनियां : राजनाथ

नई दिल्ली
भारत में जल्द ही रक्षा उपकरणों और लड़ाकू विमानों के निर्माण में पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का एकाधिकार खत्म हो सकता है। इस बात के संकेत केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को दिए हैं। राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के 58वें एमफिल दीक्षांत समारोह में कहा कि हमने रणनीतिक साझेदारी मॉडल के जरिए लड़ाकू विमान, हेलीकाप्टर, टैंक और पनडुब्बी आदि के निर्माण में निजी कंपनियों के लिए अवसर खोले हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में रक्षा उपकरणों के निर्माण में भारतीय प्राइवेट कंपनियों को वैश्विक बनने का मौका मिलेगा।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार ने 4 लाख करोड़ रुपये के 200 से अधिक प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इसमें भारतीय कंपनियों के अलावा विदेशी कंपनियों को भी रक्षा उपकरण बनाने की इजाजत है।

रक्षामंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय जैसे संस्थान सैन्य एवं असैन्य सेवाओं में भावी वरिष्ठ नेतृत्व तैयार कर भविष्य की संभावित चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि भारत एशिया एवं विश्व में वृद्धि, विकास, समृद्धि, शांति एवं स्थायित्व के लिए अहम योगदानकर्ता के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि देश के सशस्त्र बल भावी क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तेजी से बदलाव कर रहे हैं।

'कोरोना ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को और जटिल बना दिया'
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य को और जटिल बना दिया है। उन्होंने ऐसी चुनौतियों से निपटने की तैयारी पर बल दिया जिनमें कार्रवाई के लिए पर्याप्त समय की गुंजाइश नहीं होती है।

रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट कंपनियों की एंट्री का विरोध
यहां आपको बता दें कि विपक्षी दल रक्षा उपकरण के निर्माण में निजी कंपनियों की एंट्री का विरोध कर चुके हैं। विपक्ष का आरोप है कि इस फैसले से भ्रष्टाचार के मामलों में वृद्धि होगी। फाइटर जेट रॉफेल के पुर्जे के निर्माण की डील अनिल अंबानी की हिस्सेदारी वाली रिलायंस ग्रुप को मिलने पर विपक्षी दल मौजूदा सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा चुकी है, हालांकि सुप्रीम कोर्ट इन आरोपों को खारिज कर चुका है। 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया था, लेकिन जनता ने भी इस मुद्दे को नकार दिया था।

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