टीबी अस्पताल में रीजनल रेस्पिरेटरी इंस्टीट्यूट के रुपए में हॉग विकसित

भोपाल
ईदगाह हिल्स स्थित टीबी अस्पताल को अब रीजनल रेस्पिरेटरी इंस्टीट्यूट के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां टीबी के साथ-साथ अस्थमा, सीओपीडी और सांस से संबंधित सभी बीमारियों के मरीजों का इलाज किया जाएगा। साथ ही टीबी के क्षेत्र में शोध किए जाएंगे। मालूम हो कि यह प्रदेश का पहला इंस्टीट्यूट है जहां टीबी के साथ फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का इलाज और शोध किए जाएंगे। हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरुण श्रीवास्तव को इंस्टीट्यूट का अधीक्षक  नियुक्त किया गया है। इंस्टीट्यूट की पहली बैठक २ जुलाई को आयोजित की जाएगी। डॉ.श्रीवास्तव के मुताबिक इंस्टीट्यूट में टीबी और फेफड़ों से संंबधित सभी बमारियों का उपचार किया जाएगा।

25 करोड़ से तैयार होने वाले इस इंस्टीट्यूट में मॉड्यूलर आॅपरेशन थिएटर और वार्ड भी तैयार किए जाएंगे। मालूम हो कि का रीढ़ की हड्डी, शरीर की अन्य हड्डियां या फेफड़ों में होने वाली टीबी के कुछ मामलों में आॅपरेशन की भी जरूरत होती है। फिलहाल प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में टीबी से जुड़े आॅपरेशन नहीं किए जाते।

अभी तक टीबी मरीजों के इलाज तक सीमित इस अस्पताल को अब जीएमसी के पल्मोनरी विभाग के सुपरविजन में  विकसित किया जाएगा। इस इंस्टीट्यूट में टीबी के साथ-साथ सांस से संबंधित सभी बीमारियों का इलाज किया जाएगा। यहां फेफ ड़ों से संबंधित सभी बीमारियों के संबंध में रिसर्च भी की जाएगी। आगे जाकर यहां फेफ ड़ों से संबंधित सर्जरी की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी।

जानकारी के मुताबिक शहर में टीबी मरीजों की संख्या 6 हजार के आसपास है। बीते सालों में यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही एमडीआरी टीबी के 125 और एक्सडीआर टीबी के 28 मरीज राजधानी में रजिस्टर्ड हैं।

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