टाइगर जिंदा है! गुजरात में 27 साल बाद फिर मिले बाघ की मौजूदगी के सबूत

 अहमदाबाद 
साल 1992 के बाद एक बार फिर गुजरात में बाघों की मौजूदगी की बात सामने आई है। भले ही गुजरात के गिर जंगलों के शेरों की तस्वीर अक्सर सोशल मीडिया पर सामने आती हों, लेकिन 1992 के बाद से अब तक गुजरात में किसी बाघ की मौजूदगी की जानकारी नहीं मिली थी। इसी बीच शनिवार को एक स्थानीय शिक्षक ने यहां के महिसागर जिले में एक बाघ की मूवमेंट की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को दी है, जिसके बाद हरकत में आए विभाग ने इस वन्य जीव की तलाश में बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया है।  

मिली जानकारी के मुताबिक, महिसागर के एक स्कूल में शिक्षक महेश महेरा ने 6 फरवरी को यहां के बोरिया गांव से गुजरते वक्त एक बाघ को अपनी गाड़ी के पास देखा था। महेश ने इस बाघ की तस्वीर को अपने फोन के कैमरे में कैद कर लिया था, जो कि बाद में वन विभाग के अधिकारियों के साथ शेयर की गईं। 

महेश महेरा ने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'मैंने शनिवार रात स्कूल से लौटते वक्त इस बाघ को अपनी कार के पास से गुजरते देखा था। मुझे पहले विश्वास नहीं हुआ कि मैं उसे अपनी कार से सिर्फ 40 फीट की दूरी पर देख रहा हूं, लेकिन चूंकि मैंने स्थानीय लोगों से इस इलाके में बाघ की मौजूदगी की बात सुनी थी, ऐसे में उसकी फोटो खींच ली।' 

टाइगर की तलाश में लगाए गए कैमरे 
इन तस्वीरों के सामने आने के बाद इलाके के प्रिंसिपल चीफ फॉरेस्ट कंज़रवेटर अक्षय सक्सेना ने तत्काल स्थानीय वन विभाग के कर्मचारियों को बाघ की तलाश करने के निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने शिक्षक महेश महेरा द्वारा खींची फोटोज की सत्यता की जांच करने को भी कहा। सक्सेना ने कहा कि हम बाघ के पैरों के निशान और उसकी मौजूदगी की जांच करा रहे हैं। 

इसके अलावा इलाके में 3 नाइट विजन कैमरे लगाकर बाघ की तलाश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर इलाके में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि होती है तो निश्चित ही वन विभाग इनके संरक्षण के लिए एक पूरी कार्ययोजना बनाकर इस दिशा में काम करेगा। 
 

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