जोड़ों के दर्द में सरसों का साग और शुगर में फायदेमंद होती है मैथी

ठंड के मौसम में खानपान की चर्चा हो और उसमें साग शामिल नहीं हो, ऐसा संभव नहीं है। मौसम के अनुकूल जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण सर्दियों में साग का महत्व और बढ़ जाता है। ये सर्दी-जुकाम से लेकर हृदय रोगों और कैंसर के खतरे तक को भी कम करते हैं।

ठंड की दोपहरी हो, बाहर गुनगुनी धूप खिली हो और दोपहर के खाने में गर्मागर्म सरसों का साग और मक्के की रोटी परोसी जाए! ठंड के मौसम की इससे बेहतर कल्पना कोई और भला क्या हो सकती है। ठंड की जहां-जहां बातें होती हैं तो उन बातों में तरह-तरह के साग की चर्चा अपने आप शामिल हो जाती है।
साग न सिर्फ स्वादिष्ट होता है, बल्कि विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होने के कारण इनका सेवन सेहत के लिहाज से भी फायदेमंद होता है। साग  में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। ठंड के मौसम में साग का सेवन पोषक तत्वों की आपूर्ति तो बढ़ा देता है, लेकिन वजन नहीं बढ़ने देता। साग में घुलनशील और अघुलनशील दोनों फाइबर होते हैं। इनसे शरीर का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और वजन को नियंत्रित रखना आसान होता है। इसके अलावा साग में मौजूद विभिन्न मिनरल्स और विटामिन्स रक्तसंचार को दुरुस्त रखने में भी मदद करते हैं, साथ ही इसे खाने से नसों में ब्लॉकेज की आशंका भी कम होती है। ठंड में जोड़ों के दर्द की परेशानी आम है। सागों में मौजूद कैल्शियम, पोटैशियम और प्रोटीन दर्द में आराम देते हैं।  

सरसों के साग में कैलोरी और वसा काफी कम होती है, वहीं कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, शुगर, पोटैशियम, विटामिन-ए, सी, डी, बी12, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होते है। इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स भी मौजूद होते हैं, जो शरीर से टॉक्सिन यानी

गंदगी निकालने में और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने मेें मदद करते हैं। सरसों के साग में फाइबर बहुत अधिक मात्रा में होता है और इस कारण यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है। सरसों के सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है और दिल के रोगों की आंशका भी कम हो जाती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और पोटैशियम हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखते हैं। सर्दियों में जिन लोगों
को जोड़ों का दर्द रहता है, उन्हें सरसों का साग खाना चाहिए।

पथरी की आशंका कम करेगा बथुआ
बथुआ के साग में कई औषधीय गुण होते हैं और साथ ही यह विटामिन-ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम से भी भरपूर होता है। बथुआ के साग को नियमित रूप से खाने से गुर्दे में पथरी होने का खतरा काफी कम हो जाता है। बथुआ के सेवन से गैस, पेट में दर्द और कब्ज की समस्या भी दूर होती है। बथुआ को रायता, पराठा, साग व सब्जी आदि के रूप में आप डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।

कब्ज में राहत देगा चने का साग
चने का साग खाने में स्वादिष्ट होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन व कई विटामिन पाए जाते हैं। यह कब्ज, डायबिटीज, पीलिया आदि रोगों में बहुत फायदेमंद होता है। चने का साग हमारे शरीर में प्रोटीन की आपूर्ति भी करता है। चने के साग में फाइबर काफी मात्रा में होते हैं, जो आंतों में वसा के जमाव को रोकते हैं और कब्ज व आंतों की सूजन में राहत पहुंचाते हैं।

 

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