धरमलाल कौशिक के नाम पर भड़के विधायक बोले – जिसके नेतृत्व में हारे, उसे ही बनाया नेता

रायपुर
 विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा की कलह सतह पर आ गई है। विधानसभा के सत्र शुरू होने से ठीक पहले प्रदेश कार्यालय एकात्म परिसर में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में यह कड़वाहट खुलकर सामने आ गई। दिल्ली से पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए केंद्रीय मंत्री थावरचंद्र गहलोत और प्रदेश प्रभारी अनिल जैन ने विधायक दल के नेता के लिए प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक का नाम रखा। इसपर वहां मौजूद 14 में से अधिकतर विधायक भड़क गए।

बताया जा रहा है कि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, ननकीराम कंवर और अजय चंद्राकर आदि नेताओं ने खुला विरोध कर दिया। जमकर अपशब्द कहे। इनका कहना था कि इनके विधायक दल का नेता बनने का मतलब है कि भाजपा में और कोई नेता हीं नहीं बचा। अध्यक्ष भी यही रहे, नेता प्रतिपक्ष भी यही बनेंगे। कई नेताओं ने उनके नेतृत्व पर ही सवाल खड़े कर दिए। इन सवालों का परिणाम यह हुआ कि 1 घंटे में नेता तय करने के लिए बुलाई गई बैठक 2 घंटे से अधिक देर तक चली।

बाद में खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और संगठन महामंत्री रामलाल को दखल देकर मामला शांत कराना पड़ा। उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने धरमलाल कौशिक के नाम का प्रस्ताव रखा और बृजमोहन अग्रवाल को उसका समर्थन करना पड़ा। बाद में केंद्रीय पर्यवेक्षक थावरचंद्र गहलोत ने धरमलाल कौशिक के नाम की घोषणा की।

शाह ने कहा, कौशिक नहीं बने तो टूट जाएगी पार्टी
बात को उलझता देखकर केंद्रीय पर्यवेक्षक थावरचंद्र गहलोत और अनिल जैन ने विरोध कर रहे लोगों को बुलाया। उनसे कहा कि यह संसदीय बोर्ड का फैसला है, इसे मानना होगा। बाद में उन्होंने वरिष्ठ विधायकों को बुलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और संगठन महामंत्री रामलाल से उनकी बात कराई। अनुशासन का हवाला दिया गया। अमित शाह ने यहां तक कह दिया कि कौशिक को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया तो पार्टी टूट जाएगी। बृजमोहन अग्रवाल ने दूसरे नाराज नेताओं को यह बात बताई। उसके बाद सभी विरोधी दिग्गजों ने हथियार डाल दिए। बृजमोहन अग्रवाल को विधायक नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते थे।

बृजमोहन के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर खोला मोर्चा
बैठक में नेताओं के हथियार डाल देने के बाद समर्थकों ने बाहर मोर्चा खोल दिया। एकात्म परिसर के बाहर नारेबाजी हुई। सोशल मीडिया पर पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के समर्थक काफी मुखर रहे। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और प्रदेशाध्यक्ष धरमलाल कौशिक के खिलाफ तीखी टिप्पणियां लिखी गईं।

एक-एक से चर्चा तक खिंची बात
बताया जा रहा है कि लगभग सभी के समर्थन से इनकार के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षक थावरचंद्र गहलोत और प्रदेश प्रभारी अनिल जैन ने विधायकों से एक-एक कर चर्चा की। बताया जा रहा है कि रमन सिंह को छोड़कर कोई विधायक कौशिक को नेता मानने को तैयार नहीं था।

कंवर ने माला पहनने से भी किया इनकार
नेता प्रतिपक्ष की घोषणा के बाद धरमलाल कौशिक सभी नेताओं को फूलमाला पहनाने लगे। ननकीराम कंवर ने उनकी माला पहनने से साफ इनकार कर दिया। पर्यवेक्षक थावरचंद गलहोत और प्रदेश प्रभारी अनिल जैन के आग्रह को भी ननकीराम ने ठुकरा दिया। मौके की नजाकत को भांपते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने यह कहकर माहौल हल्का करने का प्रयास किया कि 'वे बस शादी में ही माला पहने थे।'

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