जेल में बर्थडे…उमर ने दोहराया दादा का इतिहास

श्रीनगर
पहले शेख अब्दुल्ला और फिर उनके पोते उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah)। जम्मू-कश्मीर में 64 साल बाद इतिहास एक बार फिर दोहराया गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का 50वां बर्थडे था। नैशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर ने जेल में ही जन्मदिन मनाया। कुछ इसी तरह 1955 में उनके दादा और जम्मू-कश्मीर के तीसरे मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला (Sheikh Abdullah) का 50वां बर्थडे जेल में ही गुजरा था।

हरि निवास सबजेल में उमर का 50वां बर्थडे
अनुच्छेद 370 (Article 370) के प्रावधानों के हटने के साथ ही 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनगर्ठन अधिनियम अमल में आया। इसी के बाद सितंबर 2019 में उमर अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया था। जनवरी 2020 में उन्हें पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट (Public Safety Act) के तहत कैद किया गया था। घर से दो किलोमीटर दूर स्थित हरि निवास को सबजेल के रूप में तब्दील किया गया और उन्हें यहीं बंद रखा गया है। अपने 50वें जन्मदिन पर उमर ने पिता फारूक अब्दुल्ला से फोन पर तकरीबन 10 मिनट बात की। इसके अलावा उनकी मां मौली, बहन साफिया समेत कुछ रिश्तेदार केक और गिफ्ट के साथ हरि निवास पहुंचे।

१९५३ में गिरफ्तार हुए थे शेख अब्दुल्ला
इससे पहले 1953 में कश्मीर कॉन्सपिरेसी केस में शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री (तब सीएम की जगह प्रधानमंत्री इस्तेमाल होता था) को तत्कालीन सदर-ए-रियासत (राज्य के संवैधानिक प्रमुख) डॉक्टर कर्ण सिंह ने बर्खास्त कर दिया था। शेख अब्दुल्ला को बहुमत साबित करने का मौका नहीं मिला और कुछ दिनों बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया। कश्मीर कॉन्सपिरेसी मामले में 11 सालों तक शेख अब्दुल्ला जेल में कैद रहे।

1955 में शेख का 50वां बर्थडे जेल में गुजरा
शेख अब्दुल्ला ने अपनी गिरफ्तारी के पीछे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) पर आरोप मढ़े थे। इतिहासकार एजी नूरानी ने भी एक आर्टिकल में लिखा था कि गिरफ्तारी के आदेश नेहरू ने ही दिए थे। उन्हें कश्मीर से तीन हजार किलोमीटर दूर तमिलनाडु में हाउस अरेस्ट रखा गया। तकरीबन 11 साल तक वह कैद रहे। इसी दौरान 1955 में शेख का 50वां जन्मदिन नजरबंदी में कैद रहते हुए बीता था। अब 2020 में उमर अब्दुल्ला का 50वां जन्मदिन भी अपने दादा की तरह बीता है।

क्या था कश्मीर कॉन्सपिरेसी केस
बताया जाता है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) को 1950 में इनपुट मिले थे कि शेख अब्दुल्ला विदेशी गुप्तचर एजेंसियों के संपर्क में हैं। इस सिलसिले में नेहरू को कुछ सबूत भी मुहैया कराए गए थे। आईबी के उस वक्त के चीफ बीएन मलिक ने अपनी एक किताब 'नेहरू के साथ मेरे दिन' में दावा किया था कि 1953 में शेख अब्दुल्ला ने विदेशी गुप्तचर एजेंसी के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसमें फैसला हुआ था कि 15 अगस्त 1953 को कश्मीर को भारत से अलग करने की घोषणा कर देंगे। बताया जाता है कि बीएन मलिक की रिपोर्ट के बाद नेहरू को फौरन अब्दुल्ला को बर्खास्त करने और गिरफ्तारी का निर्देश देना पड़ा। 1953 में सत्ता से हटाए जाने के 22 साल बाद 1975 में वह राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1982 में शेख अब्दुल्ला की मौत के बाद उनके बेटे फारूक अब्दुल्ला राजनीति में सक्रिय हुए।

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