स्टाफ नर्स की भर्ती में हुई गडबडी की जांच पूरी, BJP विधायक सरकार की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं

भोपाल
साल 2015 में रीवा जिले में स्टाफ नर्स की भर्ती में हुई गडबडी के चार साल बाद जांच पूरी हो पाई है। जिले में 38 स्टाफनर्स के पदों पर भर्ती के लिए 180 आवेदन पात्र पाये गये थे। इनमें से 30 स्टाफनर्स की पदस्थापना की गई थी। इन भर्तियों में हुई गडबडी का मामला देवतालाब के भाजपा विधायक गिरीश गौतम ने विधानसभा में उठाया था। जिसके बाद एनएचएम द्वारा मामले की जांच कराई गई। इसमें रीवा के तत्कालीन सीएमएचओ डा.सुधीर जैसानी(वर्तमान में उप संचालक क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल) के खिलाफ चार साल बाद नाम मात्र की कार्यवाही की गई है। इस मामले को विधानसभा में उठाने वाले भाजपा विधायक गिरीश गौतम सरकार की कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हैं। वे इस मामले को फिर विधानसभा में उठायेंगे।

देवतालाब विधायक गिरीश गौतम का कहना है कि जिन स्वास्थ्य संस्थाओं में सरकार द्वारा स्टाफ नर्स के पद स्वीकृत नहीं थे वहां मनमाने ढ़ंग से पोेस्टिंग कर दी गई थी। भर्ती के लिए कि सी भी अखबार में विज्ञापन प्रकाशित न कराकर सिर्फ चहेते आवेदकों के पैसे लेकर आवेदन जमा कराये गये थे। और उनका न कोई रिकार्ड रखा गया था और न ही स्क्रूटनी की गई थी। अजा और अजजा वर्ग के पदों पर भर्ती के बावजूद  नियुक्ति प्रक्रिया और छानबीन समिति में इन वर्ग के सदस्यों को शामिल नहीं किया गया था। विधायक ने भाजपा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री पर भी डा. सुधीर जैसानी को बचाने के आरोप लगाते हुए कहा कि इतने बडे पैमाने पर योग्य आवेदकों के साथ धोखेबाजी करने वाले अधिकारी के खिलाफ सिर्फ इंक्रीमेंट रोकने की कार्यवाही सिर्फ दिखावा है। वे अक्टूबर में विधानसभा सत्र के दौरान इस मामले को विधानसभा में उठायेंगे।

वर्तमान में भोपाल के क्षेत्रीय कार्यालय में उप संचालक डा. सुधीर जैसानी द्वारा की गई स्टाफनर्स भर्ती प्रक्रिया में शामिल जीएनएम ट्रेनिंग सेंटर रीवा की प्राचार्य संजया शुक्ला और स्किल लैब की स्टाफ नर्स पूर्णिमा सिंह के खिलाफ चार साल बाद जांच को समाप्त कर दिया गया। जबकि इस भर्ती में आवेदकों के दस्तावेजों में कांटछांट की गई थी। जांच के दौरान ये सामने आया था कि आवेदनों को अधिकारी अपनी गाडी में रखकर घूमते रहते थे।

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